बाबूभाई को भी फांसी की सजा, दस लाख अर्थदंड भी

Last Updated 01 Sep 2016 06:42:06 AM IST

उत्तर प्रदेश में जौनपुर की एक अदालत ने बुधवार को करीब 11 साल पहले श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले के एक और आरोपी ओबैदूर्रहमान उर्फ बाबूभाई को फांसी और 10 लाख 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.


श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले का फाइल फोटो

अपर जिला एवं  सत्र न्यायाधीश (प्रथम) बुधिराम यादव की अदालत में ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई को कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया.

अदालत ने आरोपी बाबू भाई को श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले का दोषी करार देते हुए फांसी और 10 लाख 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट की 28 जुलाई को 11 वीं बरसी थी और अदालत में इस मामले की सुनवाई अब भी जारी है. ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू  भाई के मामले कुल 56 गवाह पेश हुए हैं. अभियुक्त बाबूभाई को नौ मई 2006 को बंगाल के मुर्शिदाबाद जेल से वारंट बी के जरिये जौनपुर लाया गया था.

तफ्तीश में यह तथ्य सामने आया था कि बाबू भाई लश्करे-तैयबा और पाकिस्तान की सबसे गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के लिए भी काम करता था. 28 जुलाई 2005 को पटना से चलकर नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन के सामान्य डिब्बे में यात्रा कर रहे लोगों को यह आभास नही था कि यह उनके जीवन का अंतिम दिन होगा.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के हरपालगंज (सिंगरामउ) एवं कोइरीपुर (सुल्तानपुर) रेलवे स्टेशनों के बीच हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए भीषण बम विस्फोट में 14 लोग मारे गये और कम से कम 90 लोग घायल हो गये थे. इस बम विस्फोट में शैफफैजल, कुणाल, सुधीर कुमार, परमशिला, विनोद, रविदास, कमालुद्दीन, सुभाष ठाकुर, कुमारी कविता, सुबोध बढ़ई, अरविन्द सिंह, संतोष, दिगम्बर चौधरी, सफीक और अमरनाथ चौबे की मौत हो गयी थी.

जांच मे बम विस्फोट के पीछे आतंकवादी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबूभाई (बांग्लादेश) नफीकुल विश्वास (मुर्शीदाबाद), सोहाग खान उर्फ हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन (बांग्लादेश), मोहम्मद आलमगिर उर्फ रोनी (बांग्लादेश), डाक्टर सईद और गुलाम राजदानी का हाथ होने के बारे में पता चला. इसमें से डाक्टर सईद का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है जबकि एक आरोपी गुलाम राजदानी उर्फ याहिया को मुठभेड़ में मारा जा चुका है.

इस घटना को अंजाम देने की योजना राजशाही बांग्लादेश में बनी थी.  इस घटना में शामिल रहे अन्य आतंकवादियों में से मोहम्मद शरीफ अभी फरार चह रहा है. उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है. इस मामले में पुलिस ने पहले तीन आरोपी आतंकवादी क्रमश: ओबैदुर्रहमान, हिलालुद्दीन एवं नफीकुल विश्वास को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है और तीनों को जौनपुर कारागर में बन्द किया गया.

वर्ष 2007 में दिल्ली में मो. आलमगीर उर्फ रोनी को गिरफ्तार किया और उसे तिहाड़ जेल में रखा गया था. वहीं से हर पेशी पर जौनपुर लाया जाता था.  रोनी को गत 30 जुलाई को फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है. इस समय रोनी केंद्रीय कारागार इलाहाबाद के नैनी बन्द है.

इस मामले की सुनवाई जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) बुधि राम यादव कर रहे हैं. इस मामले में दो आरोपी आतंकवादी नफीकुल विश्वास और हिलालुद्दीन को एक अन्य मुकदमे के सिलसिले में हैदराबाद भेजा गया है. उनके मामले में अदालत ने 20 सितम्बर को सुनवाई की तिथि नियत की है. दोनों को जौनपुर लाने के लिये वारंट बी हैदराबाद भेजा गया है.



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