मायावती पर अभद्र टिप्पणी करने वाले दयाशंकर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए जेल
बसपा मुखिया मायावती को लेकर अभद्र टिप्पणी करने के आरोपी पूर्व भाजपा नेता दयाशंकर सिंह को शुक्रवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गए दयाशंकर |
उन्हें शुक्रवार की देर रात उत्तर प्रदेश के मऊ के एक कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने दयाशंकर सिंह की अंतरिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए जेल भेज दिया.
इससे पहले दयाशंकर को शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बिहार के बक्सर जिले में गिरफ्तार किया और उत्तर प्रदेश के मऊ लायी. यहां अदालत में उनकी पेशी हुई.
मऊ में पुलिस ने दयाशंकर से पूछताछ भी की.
दयाशंकर की एफआईआर को लखनऊ से मऊ ट्रांसफर किया गया है. मऊ में डीआईजी आजमगढ़ धर्मवीर कुमार ने उनसे पूछताछ की.
एसटीएफ के प्रमुख और राज्य अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने बताया कि दयाशंकर को बक्सर में गिरफ्तार किया गया. उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट हुआ था. दयाशंकर की लोकेशन लगातार प्रदेश के बाहर ही मिल रही थी और प्रदेश में अथवा उसके बाहर उन्हें गिरफ्तार करने की पूरी कोशिश की जा रही थी.
इस बीच, बसपा अध्यक्ष मायावती ने दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी को उच्च न्यायालय की सख्ती का नतीजा बताते हुए कहा कि प्रदेश पुलिस को पहले दिन से ही सिंह के पते-ठिकाने के बारे में पूरी जानकारी थी लेकिन सपा और भाजपा की मिली भगत की वजह से उन्हें बचाया जा रहा था.
मालूम हो कि भाजपा के तत्कालीन प्रान्तीय उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने पिछले हफ्ते एक बयान में मायावती को अभद्र टिप्पणी की थी. उसके बाद उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया था और गत 20 जुलाई को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था.
बसपा नेता मेवालाल गौतम की तरफ से दर्ज प्राथमिकी में सिंह के खिलाफ अनुचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम तथा भारतीय दंड सहिता की धाराएं लगाई गई थी. उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था और पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिये जगह-जगह छापे मार रही थी.
सिंह की गिरफ्तारी न होने को लेकर राज्य सरकार चौतरफा घिर गयी थी. बसपा उस पर भाजपा से मिलीभगत का लगातार आरोप लगा रही थी, वहीं भाजपा भी उस पर बसपा की मदद करने का इल्जाम लगाकर घेर रही थी.
दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख के बारे में अभद्र टिप्पणी के बाद अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उन्होंने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश देने का आग्रह किया था. हालांकि अदालत ने उन्हें इस सिलसिले में कोई राहत नहीं दी थी.
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