डाक्टरों की योग्यता पर उठे सवाल, रेह्यूटोलॉजी विभाग को डीएम पाठ्यक्रम की मान्यता देने से इनकार
उत्तर प्रदेश के लखनऊ मे मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेह्यूटोलॉजी विभाग में डीएम पाठ्यक्रम को मान्यता देने से इनकार कर दिया है.
(फाइल फोटो) |
लखनऊ में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में रेह्यूटोलॉजी विभाग के डाक्टरों की योग्यता पर ही सवाल खड़ा कर दिया है.
रेह्यूटोलॉजी विभाग में डीएम पाठय़क्रम के लिए एमसीआई ने निरीक्षण किया था. निरीक्षण के बाद एमसीआई ने पाया कि पाठ्यक्रम के लिए विभाग प्रमुख से लेकर अन्य डाक्टरों डीएम पाठय़क्रम की योग्यता ही नहीं रखते है.
एमसीआई के निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार विभाग के प्रमुख डा. सिद्धार्थ दास खुद एमडी मेडिसिन है. वह डीएम रेह्यूटोलॉजी नहीं है. इसके साथ ही दो वर्ष का विशेष प्रशिक्षण भी नहीं प्राप्त है. उनके पास सिर्फ रेह्यूटोलॉजी में फेलोशिप का प्रशिक्षण ही है, जो कि छह महीने का हैं.
इसके अलावा विभाग में एसोसिएट प्रो. पुनीत कुमार भी एमडी मेडिसिन है. इन्हे भी दो वर्ष का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है. इसी विभाग के तीसरे डॉ. अनुपम बाखलू हैं जिन पर केजीएमयू ने विभाग का चिकित्सा अधीक्षक व तकनीकी विभाग की जिम्मेदारी भी दे रखी है. इसके बाद भी उनके शोध पत्र भी है और वह नियमों को धता बताते हुए प्रमोशन भी पा गये है. इसके कारण डीएम के पाठ्यक्रम की मान्यता मिलना तय नहीं है.
सबसे बड़ी बात डॉ. अनुपम बाखलू की है जो कि केजीएमयू कुलपति प्रो. रविकांत के करीबी बताये जाते है उन पर ही गलत तरीके से प्रमोशन दिये जाने का आरोप लगा दिया है. हालांकि केजीएमयू प्रशासन का मानना है कि एमसीआई पहले भी ऐसे आरोप लगा चुकी है. जबकि डीएम का पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए किसी को नियुक्त करना होगा.
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