ठाकुर बांकेबिहारी को चाहिए एक अदद रसोइया जो कच्चा भोजन बना सके

Last Updated 04 May 2016 11:29:51 PM IST

वृन्दावन के ठाकुर बांकेबिहारी इन दिनों बहुत संकट में हैं. उन्हें एक माह से दो सौ वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार राजभोग (प्रात:कालीन) सेवा के दौरान कच्चा भोजन नहीं मिल पा रहा है.


ठाकुर बांकेबिहारी (फाइल फोटो)

मंदिर प्रबंधन ने अखबारों में विज्ञापन एवं मुनादी के माध्यम से सभी सेवायतों को सूचना देकर इस समस्या के हल के लिए आगे आने की अपील की है, किंतु अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला.

नतीजा यह है, कि ठाकुर जी को मजबूरीवश सांध्यकालीन भोग के समान ही दिन में भी पकाए हुए भोजन का भोग लगाया जा रहा है.

ठा. बांकेबिहारी मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष नन्दकिशोर उपमन्यु ने बताया कि मंदिर की स्थापना के समय से ही ठाकुरजी को प्रात:काल राजभोग के समय कच्ची रसोई का भोग लगाने की परंपरा रही है. यह परंपरा ठाकुरजी के भक्त राधेश्याम बेरीवाला का वंशज परिवार निभाता रहा है.

किंतु, एक माह पूर्व उनके यहां ठाकुरजी की रसोई तैयार करने वाले गोस्वामी ने यह जिम्मेदारी निभाने से इंकार कर दिया. उसके बाद यह परंपरा टूट गई. जिसे दूध-भात का भोग लगाकर पूरा करने का प्रयास किया गया.

लेकिन, कुछ सेवायतों ने इस व्यवस्था पर आपत्ति उठाई तो वह व्यवस्था भी नियमित न हो सकी. तब, प्रबंधन समिति ने सभी गोस्वामियों से अपील कर हल निकालने की गुहार लगाई. डुगडुगी बजवाई, मंदिर में नोटिस लगाया और अखबारों में विज्ञापन तक दिया.

उपमन्यु ने बताया कि इसके बाद भी मंदिर के 345 सेवायतों में से कोई भी सदस्य यह परंपरा निभाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हुआ है.

इसलिए अब कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि पहले उन सदस्यों से आग्रह किया जाएगा, जिन्होंने सारस्वत कुलीन ब्राह्मण से भोग तैयार कराने की व्यवस्था प्रारंभ करने का विरोध किया था.

मंदिर के प्रबंधक उमेश सारस्वत ने कहा कि अगर तब भी कोई निदान न निकला तो 20 हजार रुपए प्रतिमाह के पारितोषिक एवं एक पत्तल के साथ किन्हीं दो सारस्वत ब्राह्मणों को यह व्यवस्था सौंप दी जाएगी.

 



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