उत्तर प्रदेश में कांग्रेसनीत गठबंधन की संभावनाएं,नेतृत्व में बदलाव भी संभव
बिहार मेँ महागठबंधन की असाधारण विजय के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेसनीत गठबंधन की संभावनाएं तेज हो गई हैं.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेसनीत गठबंधन की संभावनाएं,नेतृत्व में बदलाव भी संभव (फाइल फोटो) |
जहां चुनाव के मुहाने पर खड़े अन्य राज्यों में भी भाजपा का विजय अभियान रोकने की निरंतरता बनाए रखते हुए चुनावपूर्व गठबंधनों की संभावनाओं पर पार्टियों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है वहीं लगभग डेढ साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के लेकर गठबंधनों के समीकरण कुछ ज्यादा ही तेजी से तलाशे जा रहे हैं.
बहुजन समाज पार्टी एक स्थायी जनाधार वाली पार्टी है और सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के कामकाज से असंतुष्ट आमजनों का रूझान अपनी तरफ होने को लेकर आश्वस्त दिख रही है.
यही कारण है कि बसपा कांग्रेस व कुछ छोटे दलों के गठबंधन की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर रही है वहीं सत्तारूढ सपा अपने युवा मुख्यमंत्री के कामकाज और छवि को लेकर अपने कार्यकर्ताओं को दोबारा वापसी का भरोसा दे रही हैं.
अब शेष बची केंद्र में सत्तासीन भाजपा और उत्तर प्रदेश में लगभग पच्चीस सालों से वापसी की आस लगाए कांग्रेस तो इन दोनों पार्टियों में प्रदेश में भाजपा कांग्रेस की अपेक्षा बहुत मजबूत स्थिति में है और 2014 में कांग्रेस का सूपडा साफ़ कर केन्द्र में काबिज होने के बाद से उसके कार्यकर्ताओं के हौसले भी परवान चढे दिखाई दे रहे हैं.
और सबसे बडी बात यह कि गठबंधनों का जो मौजूदा दौर बिहार से शुरू हुआ है वह साम्प्रदायिकता के नाम पर राज्यों मे भाजपा को रोकने को लेकर शुरू हुआ है. इस लिहाज से भाजपा का पलड़ा शुरुआती दौर में वैसे ही भारी दिखाई दे रहा है.
बसपा द्वारा गठबन्धन की संभावनाओं को सिरे से खारिज करने के बाद कांग्रेस के सामने एक ही विकल्प शेष बचा दिखाई पड. रहा है कि वह प्रदेश में बिहार की तर्ज पर अपने नेतृत्व में एक छोटे दलों का गठबन्धन तैयार करने की दिशा में कदम बढाए तभी कुछ नये रास्ते खुलने की संभावनाएं भी सामने आ सकती हैं.
बिहार के महागठबंधन में जो अग्रणी क्षेत्रीय दल राजद और जदयू शामिल रहे वह बिहार में पहले से अच्छी स्थिति में थे लेकिन उत्तर प्रदेश में उन पार्टियोँ की वह स्थिति नहीं है.
कांग्रेस अपनी अगुवाई में इन दलों के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश में लोकदल या टिकैत के गुट और साथ ही तराई में बीएम सिंह जैसे किसान नेताओं को लेकर एक प्रयोग कर सकती है अगर वामपंथियों को भी इसमें शामिल कर सके तो एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को आस्तित्व में लाया जा सकता है.
लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अभी प्रदेश नेतृत्व में बदलाव को लेकर ही असमंजस बना हुआ है. लोकसभा की पराजय के बाद से ही यह चर्चा गर्म है.
लोकसभा चुनाव के बाद छह राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन ने इस चर्चा को हवा दी है कि टीम राहुल का कोई युवा सदस्य प्रदेश की कमान संभाल सकता है. लेकिन स्थितियां साफ़ होने में अभी कुछ वक्त लगेगा ऎसा लगता है.
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