मुन्ना बजरंगी के खिलाफ गवाह को गनर देने के मामले में सरकार से जवाब-तलब
कुख्यात अपराधी व शूटर मुन्ना बजरंगी से जान का खतरा बताते हुए एक गवाह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगायी है.
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ गवाह को गनर देने के मामले में सरकार से जवाब-तलब |
वाराणसी के दवा व्यवसायी बलराम पाण्डेय का कहना है कि वह हत्या के मामले में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ गवाह है और उसके गुगरे से उसकी जान को गंभीर खतरा बना हुआ है.
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव गृह से एक हफ्ते में व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि सुरक्षा गनर देने को लेकर कोर्ट के निर्देशों का पालन कैसे किया जा रहा है. याचिका की अगली सुनवाई 30 नवम्बर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वीके मिश्र की खण्डपीठ ने वाराणसी के दवा व्यवसायी बलराम पाण्डेय की याचिका पर दिया है.
कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को छह हफ्ते में गनर देने की गाइडलाइन तय करने का आदेश देते हुए याची को गनर देने का आदेश दिया था जिसका पालन न होने पर दुबारा याचिका दाखिल हुई तो कोर्ट ने जवाब मांगा. इस पर जिला प्रशासन ने कमेटी की संस्तुति पर दस फीसदी खर्चे के साथ याची को गनर दे दिया तथा गाइडलाइन जारी कर दी.
इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार व प्रमुख सचिव गृह से हलफनामा मांगते हुए पूछा है कि वे बतायें कि 25 फीसदी या दस फीसदी खर्च पर गनर देने का क्या औचित्य है.
मनरेगा घोटाले की जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बस्ती जिले की ग्राम पंचायत आमा नारायणपुर में मनरेगा योजना लागू करने में बरती गयी व्यापक अनियमितता की जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि जांच में प्रभावित लोगोें को सुनवाई का अवसर देते हुए जांच नियमानुसार की जाए. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ.डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने गौरव कुमार शुक्ला की जनहित याचिका पर दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता ने बहस की. उनका कहना था कि ग्रामीण विकास आयुक्त ने 16 जुलाई को अपर जिला योजना कोआर्डिनेटर एवं बीडीओ बस्ती की शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अभी जुलाई में ही जांच का आदेश हुआ है, ऐसे में जांच पूरी करने के लिए उचित समय दिया जाना जरूरी है. इस पर कोर्ट ने कमिश्नर को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देते हुए तीन माह में जांच पूरी करने का आदेश दिया है.
सूचना अधिकार की अपील दो माह में निर्णीत करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूचना अधिकार कानून के अन्तर्गत सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के समक्ष विचाराधीन प्रथम अपील दो माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया है. याची ने परिषद में तृतीय श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति की सूचना मांगी थी. एक माह की मियाद पूरी होने के बाद भी कोई सूचना नहीं देने पर यह अपील दाखिल की गयी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी तथा न्यायमूर्ति शशिकांत की खण्डपीठ ने इलाहाबाद के मुकुल अग्रवाल की याचिका पर दिया है.
याची अधिवक्ता घनश्याम मौर्या का कहना है कि कानून के मुताबिक मांगी गयी सूचना एक माह में उपलब्ध कराना बाध्यकारी है. जनसूचना अधिकारी ने कानून का पालन नहीं किया, जिस पर याचिका दाखिल की गयी थी.
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