संगीतकार रवीन्द्र जैन को लखनऊ के अलीगंज हनुमान मंदिर से था विशेष लगाव

Last Updated 10 Oct 2015 11:52:40 PM IST

बालीवुड के संगीतकार रवीन्द्र जैन का लखनऊ से विशेष लगाव था. उनकी अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर में विशेष अस्था थी.


बालीवुड के संगीतकार रवीन्द्र जैन (फाइल फोटो)

जब भी वह लखनऊ आते तो समय निकालकर यहां हनुमान जी का दर्शन जरूर करते.

यह उनका सरल स्वभाव था कि लखनऊ प्रवास के दौरान उनसे मिलने वालों का जमावड़ा लगा रहता था. उनकी बीमारी का समाचार सुनते ही लखनऊ वासी स्तब्ध हैं. अलीगढ़ में जन्मे रवीन्द्र जैन उत्तर प्रदेश से विशेष लगाव रखते थे. उनका अक्सर लखनऊ आना रहता था. लखनऊ के कलाकारों के साथ उनका अच्छा समन्वय था.

लखनऊ में या आसपास के जनपदों में उनका कोई कार्यक्रम होता तो उनके साथ वाद्य यंत्र के कलाकार नहीं आते थे. लखनऊ में रहने वाले तबलावादक रत्नेश मिश्र जैन के कार्यक्रमों वाद कलाकारों की व्यवस्था करते थे. जैन की तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही मुम्बई पहुंचने वाले रत्नेश मिश्र उनके आखिरी समय में लीलावती अस्पताल में मौजूद थे.

मुम्बई से उन्होंने बताया कि लखनऊ के संगीतकार विवेश प्रकाश, पाश्र्व गायिका कंचन किरन मिश्रा सहित लखनऊ के काफी लोग लीलावती अस्पताल में मौजूद हैं. दादा की मौत से सभी गमगीन हैं. मिश्र ने बताया कि वह 28 सालों से दादा के साथ कार्यक्रम कर रहे हैं. करीब तीन सप्ताह पूर्व गोवा में हुए दादा के अन्तिम स्टेज प्रोगाम में उन्होंने संगत की थी.

लखनऊ के अलीगंज हनुमान मंदिर से दादा का विशेष लगाव था. यहां पहली जनवरी को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में वह कई बार कार्यक्रम दे चुके थे. करीब तीन वर्ष पूर्व वह यहां आए तो काफी बीमार हो गये थे.

उनको लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक बड़े अस्पताल में भर्ती किया गया. आईसीयू में भी जैन ने पहली जनवरी की शाम चिकित्सकों से अलीगंज मंदिर के हनुमानजी का दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की. चिकित्सकों ने इसकी इजाजत नहीं दी. इस पर जैन अपने रिस्क पर अस्पताल से डिस्चार्ज हो गये.

हनुमानजी का दर्शन करने के बाद उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भजन की हाजिरी लगाने की इच्छा व्यक्त की. स्टेज पर आने के बाद करीब डेढ़ घंटे तक उन्होंने अपने भजनों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

भजन गाने के बाद जब भक्तों को पता चला कि जैन अस्पताल में आईसीयू में भर्ती थे और चिकित्सकों के मना करने के बाद भी जबरन अपने रिस्क पर यहां आये हैं.

उनके हाथ में ग्लूकोज चढ़ाने के लिए वीगो अभी भी लगा है. यह जानने के बाद वह भक्तों के दिल में बस गये. वह जब कभी भी लखनऊ आते तो यहां हनुमान जी का दर्शन करने जरूर आते.




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