दादरी हत्याकांड: ‘पीपली लाइव’ के गांव जैसी स्थिति पैदा होने से बिसहड़ा निवासी नाराज

Last Updated 07 Oct 2015 11:54:52 AM IST

दादरी के बिसहड़ा घटना के बाद गांव में आगंतुकों का तांता लग गया है और लोग ‘गलत तरीके से परेशान किए जाने’ को लेकर काफी नाराज हैं.


फाइल फोटो

दादरी के बिसहड़ा गांव में पड़े शीशों के टुकड़े, एक क्षतिग्रस्त फ्रिज और टूटी सिलाई मशीनें 28 सितंबर की उस दर्दनाक रात की मौन गवाही दे रही हैं जब गौमांस खाने की अफवाह के कारण मोहम्मद अखलाक को पीट पीट कर मार दिया गया था.

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद गांव में आगंतुकों का तांता लग गया है और लोग ‘गलत तरीके से परेशान किए जाने’ को लेकर काफी नाराज हैं.
  
राजपूत समुदाय की बहुलता वाले बिसहड़ा गांव के प्रवेश पर महाराणा प्रताप की बड़ी सी प्रतिमा और उसकी पक्की गलियां, सौर ऊर्जा से संचालित स्ट्रीट लाइट, एटीएम मशीनें एवं दुकानें भारत के सबसे गरीब राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश में इसकी अपेक्षाकृत समृद्धि की ओर इशारा करती हैं.
   
इसी गांव की आबोहवा और अजीब सी चुप्पी प्रशासन, मीडिया और आगंतुकों के प्रति ग्रामीणों के अविास की प्रबल भावना को प्रदर्शित करती है. लोगों का आरोप है कि ‘इस बात को उजागर नहीं किया जा रहा कि घटनाक्रम के संबंध में उनका क्या कहना है.’

इखलाक के घर के पास स्थित स्थानीय भाजपा नेता संजय राणा के घर पर बैठे ग्रामीण यशपाल सिंह ने कहा, ‘एक घटना के लिए पूरे गांव को बदनाम करना गलत है. कुछ तो गलत हुआ होगा ना जिस लिए यह हादसा हुआ.’
   
यशपाल ने कहा, ‘गलतियां होती हैं लेकिन ग्रामीणों को इस प्रकार से पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए.’

संजय राणा का बेटा इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक है. उसे नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं. हालांकि राणा से बात नहीं हो पाई, लेकिन उनके संबंधियों ने शिकायत की कि ‘परिवार को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.’
   
इससे कुछ ही ब्लॉक दूर ओमवती की रोने की दर्दनाक आवाज सुनाई देती है जिसका बेटा जयप्रकाश (24) संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत पाया गया. जयप्रकाश की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए कईं लोग एकत्र हुए.
  
नाराज महिलाओं के एक समूह ने एक सुर में कहा, ‘हमारे लड़कों को डराया जा रहा है. देखो, पुलिस के उत्पीड़न के कारण उसके साथ क्या हो गया. वे किसी युवक को नहीं छोड़ रहे.’
   
महिलाओं ने गांव के मुखिया संजीव राणा के प्रति भी नाराजगी जताते हुए उनकी ओर उंगलियां उठाते हुए कहा, ‘आप (संजीव) नेताओं से साठगांठ कर रहे है. आप भी हमें उतना ही डरा रहे हैं और हमारे पक्ष पर विचार नहीं कर रहे.’
   
उन्होंने कहा, ‘अखलाक के परिवार को मुआवजे के तौर पर 45 लाख रूपए मिले. श्रमिकों के इस परिवार को क्या मिलेगा?’

 


   
असहाय नजर आ रहे संजीव मीडिया की ओर मुड़े और कहा, ‘मैं केवल अपना काम कर रहा हूं. दोनों समुदायों के लोग दशकों से आपस में मिलजुल कर रह रहे हैं. मैं केवल यही उम्मीद करता हूं कि जल्द से जल्द शांति बहाल हो जाए.’
   
मीडिया की बात की जाए तो लोगों को सबसे अधिक नाराजगी ‘छतरी वालों’ यानी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से है जिनकी ओबी वैन गांव के प्रवेश के बाहर पंक्तिबद्ध खड़ी हैं जिनपर छतरियां लगी हुई हैं.

जिला मजिस्ट्रेट एन पी सिंह ने कहा कि स्थिति धीरे धीरे फिर से सामान्य हो रही है तथा इसमें और सुधार होगा. उन्होंने कहा कि हालात पूरी तरह सामान्य तभी होंगे, जब ‘आगंतुक बिसहड़ा आना बंद कर देंगे और मीडिया वैन भी इलाके से चली जाएंगी.’ सिंह समीपवर्ती एनटीपीसी अतिथि गृह में डेरा डाले हुए हैं.
   
लेकिन गांव का एक और कोना अलग ही कहानी कहता है. एक मुस्लिम परिवार को अशांति के मौजूदा माहौल के कारण विवाह समारोह ‘स्थगित’ करना पड़ा.
  
ग्रामीणों के एक वर्ग का दावा है कि वे ‘सुनिश्चित कर रहे हैं कि विवाह संपन्न हो.’ लेकिन इसके विपरीत हाकिम खान के परिवार की एक महिला सदस्य ने कहा, ‘माहौल शादी के समारोह के लिए अनुकूल नहीं है. अब निक़ाह होगा तो दो महीने बाद ही होगा.’
   
इस बीच अखलाक के घर पर पुलिस के जवानों को देखा जा सकता है.
   
एक अधिकारी ने कहा, ‘परिवार घर पर नहीं है. वे अपने घायल बेटे के पास कैलाश अस्पताल गए हैं.’
   
पीड़ित परिवार का एक मित्र अलीमुद्दीन कुछ संवाददाताओं को मौके पर ले गया जहां हुए नुकसान के चिह्न साफ देखे जा सकते हैं. एक सप्ताह से अधिक समय गुजर गया लेकिन दरवाजे की एक चौखट बदलने के अलावा और कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
   
गांव की दीवारों और बिजली के खंभों पर लगे पोस्टर आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों की ओर इशारा कर रहे हैं.  जिस बिसहड़ा गांव में किसी समय शांतिपूर्ण माहौल था, वह अब एक वीभत्स घटना के बाद सुर्खियों में आ गया है.
   
एक स्थानीय निवासी संजय (25) ने कहा, ‘गांव प्रार्थना कर रहा है कि ‘पीपली लाइव’ जैसी स्थिति समाप्त हो जाए.’



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