NRHM घोटाला मामले में सीबीआई ने दो घंटे तक मायावती से पूछताछ की
बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से करोड़ों रूपये के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर सीबीआई ने पूछताछ की.
CBI ने मायावती से पूछताछ की (फाइल फोटो) |
सूत्रों के अनुसार डीआईजी समेत 8 सदस्यीय टीम ने मायावती से बीती 28 सितंबर को लगभग दो घंटे तक पूछताछ की थी. सीबीआई ने इससे पहले दावा किया था कि एनआरएचएम घोटाले में उसे नए सबूत मिले हैं. इस मामले में सीबीआई अभी तक 74 एफआईआर दर्ज कर चुकी है. जबकि आरोपियों के खिलाफ 48 चार्जशीट्स भी दाखिल हो चुकी हैं.
सीबीआई अधिकारियों की पूछताछ के दौरान मायावती ने महत्वपूर्ण सवालों से कथित तौर पर बचने की कोशिश की और मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ फैसलों के बारे में अनभिज्ञता तक जाहिर की.
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभाजन और जिला परियोजना अधिकारियों के 100 पद सृजित करने को लेकर मायावती के खिलाफ नए सबूत मिलने का दावा किया था जिसके बाद उनसे पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि एनआरएचएम योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के पीछे जिला परियोजना अधिकारियों की कथित भूमिका बताई जाती है.
जब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विभाजन हुआ था तब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं.
प्रतिक्रिया के लिए वह या उनकी पार्टी का कोई सदस्य तत्काल उपलब्ध नहीं हुआ. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र पर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए सीबीआई का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया था कि मामले में उनकी संलिप्तता है ही नहीं.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विभाजन इसलिए किया गया ताकि एनआरएचएम के कोषों को परिवार कल्याण विभाग के प्रभार के अंतर्गत सीधे तौर पर रखा जा सके. यह विभाग तब मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के पास था, जिनके खिलाफ एजेंसी आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है.
सीबीआई का दावा है कि परिवार कल्याण विभाग में उन लोगों को ही जिला परियोजना अधिकारियों के पद पर नियुक्त किया गया जिन्होंने चुनिंदा आपूर्तिकर्ताओं को कथित तौर पर ठेके दिए और इसके बदले में आरोपी लोक सेवकों को कथित भ्रष्टाचार की भारी रकम मिली.
प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया है कथित आपराधिक षडयंत्र में स्वास्थ्य विभाग के विभाजन का प्रस्ताव दिया गया और केंद्र सरकार द्वारा एनआरएचएम के लिए तय मानकों के खिलाफ जा कर मंजूरी ली गई.
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