'देश के शत्रुओं का दमन कीजिये. बिगडा माहौल है अब अमन कीजिये' 'राष्ट्रीय एकता' पर काव्य गोष्ठी का आयोजन

Last Updated 30 Aug 2015 03:43:12 PM IST

सुप्रसिद्ध साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था \'लक्ष्य\' द्वारा स्थानीय वीरवर लक्ष्मण पार्क में \'राष्ट्रीय एकता\' पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ.


'वक्त यूँ ना जाया कीजिए,आतंकवाद का सफाया कीजिए'

इसकी अध्यक्षता ओज के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर शुक्ल \'क्रान्ति\' तथा कार्यक्रम का सफल संचालन सुप्रसिद्ध छंदकार शरद कुमार पाण्डेय \'शशांक\'  ने किया.

वरिष्ठ कवि कन्हैया लाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ गजलकार डॉ. सुभाष गुरुदेव अतिथि थे. कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्ज्वलन एवं सुप्रसिद्ध छन्दकार शरद कुमार पाण्डेय \'शशांक\' द्वारा सुमधुर माँ वाणी से हुआ.

तत्पश्चात सुप्रसिद्ध कवि व्यंग्यकार मनमोहन बाराकोटी \'तमाचा लखनवी\' ने देश प्रेम से ओत-प्रोत मुक्तक \'देश के शत्रुओं का दमन कीजिये. बिगडा माहौल है अब अमन कीजिये.  देश की आन पर मर गए जो यहाँ, उन शहीदों का शत-शत नमन कीजिये.\' ... पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी.

सुप्रसिद्ध गजलकार कुंवर कुशुमेश ने \'रात दिन और सुबह शाम ये उलझन क्यों है. आज सहमा हुआ प्यारा सा ये गुलशन क्यों है.\'.... पढ़कर वातावरण को समय कर दिया और खूब दाद बटोरी.

जाने-माने हास्य कवि गोबर गणेश ने पढ़ा कि \'देश के लिए जिन्होंने कुछ नहीं किया है. उनको आज हम महान बता रहे हैं. अशफाक उल्ला, चन्द्रशेखर आजाद भगत सिंह कौन थे, बच्चे इस प्रश्न का उत्तर नहीं बता पा रहे हैं.\'…भूरि-भूरि प्रशंसा बटोरी.

जाने-माने हास्य कवि अशोक \'झंझटी\' ने अपनी रचना \'सियासत में घसीटो मत हमारी दाढ़ी चोटी को. हमें एक साथ वन्देमातरम जयहिन्द कहने दो.\' पढ़कर उपस्थित श्रोताओं, कवियों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

इसके बाद युवा कवि गीतकार सतीश चन्द्र श्रीवास्तव ने लखनऊ की महिमा का बखान करते हुए अपना गीत पढ़ा, \'सारे जहां से अच्छा लखनऊ शहर हमारा. हम नागरिक हैं इसके ये है चमन हमारा.\'...और खूब वाहवाही बटोरी.

वरिष्ठ गीतकार रामराज भारती \'फतेहपुरी\' देशहित में अपनी रचना \'जिन्हें हम वोट देकर के, इरादों को सपन करते. गए वो जीत हिकमत से, करोडों का गमन करते.\' वतन को कर रहे निर्धन, योजना चाट ये बैठे.  नहीं है देश की चिन्ता, ये अपना घर चमन करते.\'…पढ़ी, जो काफी सराही गई और जमकर तालियाँ व वाहवाही पाई.

संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष कविवर अर्जुन सागर ने जब यह गीत पढ़ा, \'आजादी की वर्षगाँठ हम आज मनाने आये हैं. अमर शहीदों की बलिदानी कथा सुनाने आये हैं.\'.... तो श्रोतागण अपनी तालियों को रोक न सके और सारा वातावरण तालियों से गूँज उठा.

जाने-माने कवि बेअदब लखनवी ने इस व्यंग्य के माध्यम से खूब प्रशंसा एवं तालियाँ बटोरीं \'रिश्वत खोरी की घटनाओं पर लग जाए विराम, मेहनतकश और जांबाजों को मिले उचित इनाम. मिले प्यार समुचित जो इनको क्यूँ कर झूठ ये बोलें, सम्मानित जीवन मिल जाए फिर रिश्वत का क्या काम.\'

कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संचालन कर रहे सुप्रसिद्ध कवि गीतकार छंदकार शरद कुमार पाण्डेय \'शशांक\' की कविता \'द्वेष का न भाव हो स्वभाव हो सभी का स्वच्छ, धन का न हो अभाव तन मन चंगा हो.  रण रंगा शौर्य जन-जन में जगाता रहे, बोलें जय हिन्द हर हाथ में तिरंगा हो\'. … द्वारा वातावरण में एक नई चेतना का संचार किया तथा खूब वाहवाही पाई.

तत्पश्चात युवा हास्य कवि राजीव पन्त ने देशप्रेम से ओतप्रोत अपनी रचना \'वक्त अपना यूँ  ना जाया कीजिए. आतंकवाद का सफाया कीजिए.\'... पढ़कर भूरि भूरि प्रशंसा बटोरी.

हास्य कवि अनिल \'अनाड़ी\' का यह गीत भी काफी सराहा गया, \'सब जन मिलकर गाओ गाथा आज बड़े ही शान से, आज तिरंगा फहर रहा है, वीरों के बलिदान से.\' कवि रवि \'सारसस्वति\' ने भी देशप्रेम से ओतप्रोत अपनी रचना,  \'हम स्वतन्त्रता के पुजारी हैं पर पीठ न दिखायेंगे, हम कुर्बां होकर देश पर फनां होकर दिखायेंगे.\' ... पढ़कर भूरि-भूरि प्रशंसा बटोरी.

तत्पश्चात वरिष्ठ गीतकार कवि कृष्णानन्द राय ने अपनी कविता, \'लहर लहर लहराई हो भारत का तिरंगा. चारों ओरी खूबे फहराई, भारत का तिरंगा.\' … पढ़कर खूब तालियां एवं दाद पाई.

वरिष्ठ हास्य कवि आदित्य चतुर्वेदी अपना व्यंग्य कुछ इस प्रकार पढ़ा कि \'आजादी दर आजादी, फूटा ढोल फिर भी होती रही विकास की मुनादी.\'…तो श्रोतागणो ने इसी प्रकार के और व्यंग्य परोसने का निवेदन करते हुए उन्हें अपने खुले मन से दाद दी.

इसके बाद सुप्रसिद्ध कवि इन्द्र ने अपनी कविता, \'कल था उनका आजादी का दिन, आज हम भी आजादी की ख़ुशी मनायेंगे.\'… पढ़कर ढेर सारी  वाहवाही एवं प्रसंशा बटोरी.

कवि हरीश लोहुमी ने  \'अमन के हम पुजारी पर न सीखी बुजदिली यारों, भरी हुंकार जब भी नींव दुश्मन की हिली यारों.\' .…पढ़कर ढेर सारी प्रशंसा व वाहवाही पाई. कवि सुनील तिवारी ने अपना गीत, \'हाय रे पत्थर तूने क्या कर डाला,तीन पत्थरों से दुनिया को चालने के बाद, चौथे पत्थर दाँत से दुनिया को कुछ खिला डाला.\'  …व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि कन्हैया लाल ने अपना गीत, \'सुहावन सावन स्वागत में, धरा ने किया साज श्रृंगार, बिखेरा मादक पुष्प सुगन्ध, पाकर रिमझिम सुखद फुहार.\' …पढ़कर खूब तालियाँ व दाद पाई. 

कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्षता कर रहे ओज के वरिष्ठ कवि साहित्यकार सिद्धेश्वर शुक्ल \'क्रान्ति\' ने आशीर्वचन के रूप में अपनी कविता \'इतिहास लिखेगा अपना, कब नवयुग की बीन बजेगी. कब अन्धकार रोयेगा, कब पृथ्वी स्वर्ग बनेगी.\' पढ़कर श्रोताओं द्वारा जमकर तालियाँ बटोरी तथा उन्होंने उपस्थित सभी कवियों साहित्यकारों को धन्यवाद देते हुए काव्यपाठ को विराम दिया.

इसके अतिरिक्त अन्य जिन कवियों ने कविता पढ़कर काव्य गोष्ठी को शिखर पर पहुँचाया, उनमें सर्व श्री डा. सुभाष गुरुदेव, केवल प्रसाद \'सत्यम\', महेश घावरी, मुकुट बिहारी मिश्र \'मुकुट\' एवं कवियित्री पं. विजय लक्ष्मी मिश्रा आदि के नाम प्रमुख हैं.अन्त में दो मिनट का मौन हुआ, जिसमें स्व. इन्दर चन्द्र तिवारी उर्फ़ बौड़म लखनवी जी एवं स्व. संकटा प्रसाद श्रीवास्तव \'बन्धू
श्री\' सुप्रसिद्ध कवि/साहित्यकारों के आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलf अर्पित की गई.



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