यूपी में क्रिमिनल ट्रायल मजाक बन कर रह गए हैं: कोर्ट

Last Updated 30 Aug 2015 05:26:21 AM IST

उत्तर प्रदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली की खस्ता हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है.


सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य में क्रिमिनल ट्रायल मजाक बन कर रह गए हैं.

बुलंदशहर के सामूहिक बलात्कार कांड तथा उससे सबंधित मुकदमों में वारदात के लगभग ढाई साल बाद भी गवाही शुरू न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकारा. जस्टिस मदन लोकुर और उदय उमेश ललित की बेंच ने राज्य में फजदारी मुकदमों में सजा की दर घटने पर चिंता व्यक्त की.

अदालत ने कहा कि 10 साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार किया गया. बलात्कार की शिकायत करने गई बच्ची को थाने में हवालात में बंद कर दिया गया.

बच्ची को नाजायज तरीके से हवालात में बंद करने के आरोप में सात पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया और उनके खिलाफ अदालत में आरोप.पत्र भी दाखिल किया गया. लेकिनए इस केस में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. सरकार ने मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में क्यों नहीं भेजा.

अदालत यूपी के अतिरिक्त महाधिवक्ता गौरव भाटिया के इस जवाब से संतुष्ट नहीं थी कि शिकायतकर्ता और उसके रिश्तेदार अदालत में गवाही के लिए नहीं आ रहे हैं. इससे मुकदमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है. कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप.पत्र दायर किया जा चुका है. मतलब साफ है कि जांच में पुलिसकर्मियों को लापरवाही का दोषी पाया गया.

अदालत का मत था कि इस मामले में अधिसंख्य गवाह पुलिस अफसर ही हैं तो गवाही में देरी क्यों हो रही है. कोर्ट ने यूपी के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह बुलंदशहर के इस मामले से राज्य के सभी थानों को अवगत कराए. थानों को बताया जाए कि रेप पीड़िता को हवालात में रखने पर सात पुलिसकर्मी निलंबित हुए हैं और उनके खिलाफ आरोप-पत्र दायर हुआ है.

बाल यन संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के कानून से सभी पुलिसकर्मियों को परिचित कराया जाए. इस तरह की कवायद अपराध की रोकथाम में सहायक होगी. सामूहिक बलात्कार की वारदात सात अप्रैल, 2013 को बुलंदशहर में हुई थी. वारदात की शिकायत करने गई पीड़िता को पुलिस ने हवालात में बंद कर दिया था. अखबारों में खबर प्रकाशित होने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतरू संज्ञान लिया था.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment