उत्तर प्रदेश की पंचायतों में आरक्षण का खाका तैयार करने में जुटा विभाग

Last Updated 27 Aug 2015 10:01:35 PM IST

उत्तर प्रदेश शासन की ओर से आरक्षण की नीति स्पष्ट कर देने के बाद पंचायतीराज विभाग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लागू होने वाले आरक्षण का खाका तैयार करने में जुट गया है.


उत्तर प्रदेश की पंचायतों में आरक्षण का खाका तैयार करने में जुटा विभाग.

इस आरक्षण की प्रस्तावित सूची 31 अगस्त को प्रकाशित की जानी है. पंचायतीराज विभाग के कार्यालय में पिछले चार चुनावों के आरक्षण की सूचियों को खंगालने व उन्हें सूचीबद्ध करने का काम भी जारी है. पंचायतीराज विभाग ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत के आंकड़ों का मिलान कराने में भी जुटा है ताकि आरक्षण लागू करने के समय आंकड़ों के कारण उन्हें कोई परेशानी न होने पाये.

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वर्ष 1995 के आरक्षण को आधार मानकर चक्रानुक्रम में आरक्षण लागू किया जाएगा. शासन के इस निर्णय के बाद पंचायतीराज विभाग में आरक्षण लागू करने का काम तेजी से चल रहा है.

विभाग का लक्ष्य है कि प्रकाशन के पहले ही आरक्षण की सूची तैयार कर लें ताकि उसकी विधिवत दोबारा जांच भी की जा सके. इसके लिए अधिकारियों ने ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के क्षेत्र व उनसे सम्बन्धित अन्य आंकड़ों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है.

इसके साथ ही 1995 में लागू हुई आरक्षण व्यवस्था के सभी अभिलेख भी खंगाले जा रहे हैं. आरक्षण व्यवस्था वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही की जानी है. इसलिए इसमें उन्हें ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है. शासन ने 1995 के आरक्षण को आधार मानकर चक्रानुक्रम में आरक्षण करने का निर्णय लिया है जिससे वर्ष 1995, 2000, 2005 व 2010 में हुए चुनावों व उनमें लागू आरक्षण की सूची तैयार करायी जा रही है.

इस चुनाव को लेकर यह स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि आरक्षण लागू करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि किसी भी पद का आरक्षण उस श्रेणी में आरक्षित न होने पाये जिसमें वह पूर्व के चुनावी वर्षो में आरक्षित रहा है. पुनः किसी वर्ग के लिए आरक्षण तभी होगा जबकि उन सीटों में आरक्षण का क्रम पूरा हो गया हो और सभी सीटें उस वर्ग के लिए आरक्षित हो चुकीं हों. ऐसी स्थिति में दोबारा उस सीट का आरक्षण उस वर्ग के लिए किया जा सकेगा.

इस आदेश के कारण ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान के पद के लिए आरक्षण लागू करने में तो कम मेहनत पड़ रही है लेकिन ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के आरक्षण में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है.

इसका मुख्य कारण यह भी है कि चुनाव को लेकर वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर सभी सीटों के लिए परिसीमन भी कराया गया है जिसमें इनकी सीटों की संख्या भी काफी बढ़ गयी है.

इसी तरह एक कारण और है कि 1995 व वर्ष 2000 में आरक्षण व्यवस्था वर्ष 1991 की जनगणना के आधार पर लागू की गयी थी और वर्ष 2005 व 2010 की आरक्षण व्यवस्था वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर की गयी थी. अब वर्ष 2015 के चुनाव के लिए आरक्षण व्यवस्था वर्ष 2011 की जनगणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर की जाएगी.

ऐसे में जनसंख्या बढ़ने के कारण विकास खण्डों में क्षेत्र पंचायत सदस्य की सीटों व जिले में जिला पंचायत सदस्य की सीटों की न सिर्फ संख्या बढ़ गयी बल्कि उनमें जातिगत आंकड़े भी गड़बड़ा गये हैं. ऐसे में इन सीटों पर वर्ष 1995 को आधार मानकर आरक्षण लागू करना मुश्किल भरा काम साबित हो रहा है.

हालांकि पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वह लगभग पूरी तैयारी कर चुके हैं और निर्धारित अवधि में वह सभी सीटों के लिए आरक्षण की प्रस्तावित सूची प्रकाशित कर देंगे. इसमें किसी तरह की बाधा नहीं आने दी जाएगी.

 



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