लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग पर अड़े अनशनकारी

Last Updated 27 Aug 2015 09:51:13 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर कई दिनों से अनशन पर बैठे छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे.


लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग पर अड़े अनशनकारी

बुधवार दोपहर में दो दौर की वार्ता के बाद भी अनशनकारी छात्र अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं दिखे, जिसके बाद मौके पर तैनात भारी संख्या में पुलिस भी मौके से हट गयी.

इस बीच दोपहर में कुछ छात्रनेताओं ने छात्रसंघ का ताला तोड़ने की धमकी दी, जिस पर मौके पर भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गयी.

छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने समेत तीन सूत्री मांगों को लेकर लविवि गेट के समीप स्थित चौराहे पर अनशन कर रहे छात्रों से मिलने के लिए दोपहर एक बजे के करीब नवनियुक्त प्राक्टर प्रो. निशी पाण्डेय दलबल समेत पहुंचीं.

दरअसल उन्हें भी इस बात की जानकारी मिली थी कि कुछ उपद्रवी छात्रसंघ का ताला तोड़कर प्रदर्शन करना चाहते हैं. इसके बाद पाण्डेय भारी दलबल के साथ छात्रसंघ भवन पहुंचीं और यहां पर सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गयी.

इस बीच पाण्डेय से मिलने के लिए अपर नगर मजिस्ट्रेट व सीओ महानगर भी पहुंचे. अधिकारियों से वार्ता के बाद पाण्डेय ने अनशन कर रहे छात्रों से मुलाकात की. इस दौरान अनशनकारियों से उनकी मांगों के समर्थन में लविवि के ‘रोल’ को लेकर भी काफी तीखी बहस होने लगी.

एक तरफ छात्रनेताओं का कहना था कि उन्हें हर बार आश्वासन की घुट्टी पिलाई जाती है और बहाने बताकर वापस कर दिया जाता है और कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ जाता है, लेकिन इस बार वह बात नहीं मानेंगे. वहीं प्राक्टर निशी पाण्डेय का कहना था कि छात्रसंघ चुनाव को शुरू कराने का निर्णय लविवि स्तर पर नहीं रूका हुआ है, इस पर न्यायालय में भी रिट है और शासन स्तर पर भी निर्णय लिया जाना बाकी है, ऐसे में लविवि कुलपति या अन्य अधिकारी दबाव में कैसे निर्णय ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि छात्रों को इसके लिए उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव या शासन स्तर पर पैरवी करनी चाहिए. बस फिर क्या था, छात्र उत्तेजित होने लगे. मौके पर मौजूद सीओ महानगर राजेश कुमार श्रीवास्तव ने भी छात्रनेताओं को न्यायालय जाने की सलाह दी.

बहरहाल छात्रों को मानता हुआ न देख वे पीछे हट गये. थोड़ी ही देर बाद एक बार फिर उन्हें नया फार्मूला देने की कोशिश हुई, लेकिन छात्रों ने किसी भी फार्मूले पर बात करने से ही इन्कार कर दिया. जिसके बाद प्राक्टर निशी पाण्डेय ने छात्रों को उनके ही हाल पर छोड़ने की बात कही.

 



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