मध्याह्न भोजन के साथ दूध पीते ही 58 बच्चे बीमार, कैण्ट अस्पताल में भर्ती

Last Updated 30 Jul 2015 01:12:28 PM IST

यूपी के लखनऊ में मध्याह्न भोजन के साथ दूध पीते ही 58 बच्चे बीमार हो गये.


दूध पीते ही 58 बच्चे बीमार (फाइल फोटो)

29 जुलाई को आरए बाजार, तोपखाना, छावनी परषिद, कैण्ट विधान सभा में बच्चों को पहली बार मध्याह्न भोजन के साथ दूध का वितरण किया गया है. दूध पीते ही दर्जनों बच्चों ने पेट व सिर में दर्द तथा कई बच्चों ने उल्टी की शिकायत स्कूल के शिक्षकों से की. देखते-देखते 58 बच्चों को कैण्ट अस्पताल में भर्ती किया गया जहां उनका उपचार देर शाम तक किया गया.

कैण्ट विधायक रीता बहुगुणा जोशी को जैसे ही घटना की जानकारी हुयी उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी लखनऊ से वार्ता की तथा बच्चो के भर्ती करने तथा उन्हें ले जाने के लिए तत्काल एम्बुलेंस का इंतजाम करने को कहा.

जोशी विद्यालय व अस्पताल में बच्चों का हाल चाल लेने पहुंची, उन्होंने वितरित किये गये दूध के जांच के लिए एक थैली दूध नमूने के रूप में रख लिया तथा एक अन्य थैली खुलवाकर दूध को चखा. अस्पताल में बच्चों का हाल लेने पहुंची विधायक को वहां के चिकित्सकों ने बताया कि दूध पीने के बाद ही बच्चों को तकलीफ हुयी है और उन्हे उचित उपाचार प्रदान किया जा रहा है. कई विधार्थीयों को ग्लूकोज चढ़ाया गया तथा अधिकांश बच्चों को प्राथमिक उपचार के उपरान्त तीन दिन की दवा देकर घर भेजा दिया गया.

उन्होने छावनी परिषद के अस्पताल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां के चिकित्सकों ने बहुत ही तत्परता के साथ बच्चों का उपचार किया तथा उनके माता-पिता को सांत्वना दी.

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक ने कहा कि यह एक गंभीर प्रकरण है खासतौर पर जब ऐसी घटना राजधानी में घटित हो. उन्होंने कहा कि यू भी डाक्टरों की सलाह है कि दूध व दूध से बने पदार्थ शीघ्र खराब हो जाते है, इसलिए बहुत ही सावधानी की आवश्यकता होती है. वितरित किये गये दूध का स्वाद बढ़ाने के लिए वनिला फ्लेवर डाला गया था. रसायन मिलाने के उपरान्त दूध जल्दी खराब हो जाता है.

उन्होने पाया कि वितरित किये जाने वाला दूध ठण्डे़ कंटेनर्स में नही रखा गया था, जिससे उसके खराब होने की संभावनाएं बढ़ गयी थी.

जोशी ने मंत्री माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर घटना से अवगत कराया तथा मांग की है कि तत्काल प्रकरण की जांच करवायें तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करें. क्योंकि यदि राजधानी में इस प्रकार की घटना घटित होती है और दर्जनों बच्चे अस्वस्थ हो जाते है तो फिर सुदूर गांवों के स्कूलों में क्या हो रहा होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है.

उन्होने पत्र की प्रतिलिपि प्रमुख सचिव स्वास्थ व मुख्य चिकित्साधिकारी लखनऊ को भी भेजी है.



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