बाणसागर से पानी न छोड़े जाने पर शिवपाल की मध्य प्रदेश को चेतावनी

Last Updated 24 May 2015 05:51:59 AM IST

बाणसागर बांध से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा यूपी को एक बूंद भी पानी नहीं दिए जाने से राज्य के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव नाराज हैं.


उत्तरप्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव (फाइल फोटो)

उन्होंने धमकी दी है कि यदि तत्काल पानी नहीं छोड़ा गया तो वे म.प्र. के अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे. इतना ही नहीं उन्होंने तीन राज्यों के सहयोग से बन रहे बाणसागर के निर्माण में अब तक खर्च हुई धनराशि का हिसाब मांगते हुए केन्द्र सरकार से निष्पक्ष एजेन्सी से खच्रे की जांच की मांग की है.

श्री यादव शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि म.प्र. सरकार द्वारा यूपी को पानी तब रोका जा रहा है कि जबकि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री  उमा भारती दोनों ही यूपी के हैं. सुश्री भारती तो म.प्र. की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं. बाणसागर बांध सोन नदी पर बना है. इससे यूपी में मिर्जापुर तथा इलाहाबाद अंचलों को पानी मिलना है,जहां पानी की कमी है.

सिंचाई मंत्री ने दो दिन पहले बृहस्पतिवार को दिल्ली में इस मुद्दे पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती से मुलाकात की. इसका जिक्र करते हुए श्री यादव ने कहा  ‘मैंने केन्द्रीय मंत्री से किसी निष्पक्ष एजेंसी से यह जांच कराये जाने की मांग की है कि बाणसागर पर पैसा कैसे और कहां खर्च हुआ? निर्माण लागत इतनी कैसे बढ़ गयी? हमें इसका हिसाब मिलना चाहिए. इस परियोजना पर म.प्र. के साथ ही यूपी और बिहार भी धन खर्च कर रहा है. यूपी ने अब तक 467 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इसमें 67 करोड़ यूपी ने ज्यादा भुगतान किया है.’

मध्य प्रदेश सरकार के विभागीय प्रमुख सचिव पर जानबूझ कर बाणसागर बांध से उत्तर प्रदेश को पानी नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा  ‘मैंने उमा भारती को साफ शब्दों में कह दिया है कि यदि यूपी को पानी नहीं मिला तो हम मध्य प्रदेश सरकार के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायेंगे.’ शिवपाल ने कहा कि केन्द्र सरकार के आासन के बावजूद अब तक प्रदेश को बाणसागर से पानी की एक बूंद भी नहीं दी गयी.

केन्द्रीय जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के सचिव अनुज कुमार बिश्नोई की तरफ से मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र की प्रतिलिपि वितरित करते हुए श्री यादव ने कहा ‘केन्द्र सरकार मानती है कि यूपी ने बांध के निर्माण में अपने हिस्से की 90 प्रतिशत से अधिक की धनराशि का भुगतान कर दिया है.’ श्री  बिश्नोई ने अपने पत्र में लिखा है कि 90 प्रतिशत राशि के भुगतान के बावजूद उत्तर प्रदेश को अब तक उसके हिस्से का पानी नहीं दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता. पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश भी मध्य प्रदेश की परियोजनाओं के लिए इस तरफ से दिये जाने वाले पानी की आपूर्ति ठप कर देगा? श्री यादव ने कहा कि पानी जैसी आवश्यक वस्तु की आपूर्ति रोकना उचित बात नहीं है. मगर यदि मध्य प्रदेश सरकार अपना रुख नहीं बदलती  तो मजबूरन ऐसा करना पड़ सकता है.

यूपी के लिए महत्वपूर्ण है परियोजना

यूपी के लिए बाणसागर परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है. बाण सागर परियोजना 1973 में यूपी, मध्य प्रदेश और बिहार के बीच हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत स्थापित हुई है. बाणसागर नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधीन है. इस बांध (बाणसागर बांध) के जलाशय के संग्रहण की क्षमता 4.39 मि.ए. फिट जल की है. समझौते के अनुसार इसमें से 1.25 मि.ए.फिट जल यूपी को मिलना है. इस जल में से .25 मि.ए.फिट जल कहनर जलाशय से एवं 1.00 मि.ए.फिट जल बाण सागर जलाशय से दिया जाएगा, जबकि इसके निर्माण पर आने वाले लागत को मध्य प्रदेश, यूपी और बिहार क्रमश: 2:1:1 के अनुपात में वहन करेंगे. इस परियोजना की पुनरीक्षित लागत 2842.82 करोड़ है.
इस परियोजना से इलाहाबाद, मिर्जापुर, सोनभद्र आदि जिलों को पानी की आपूर्ति की जाती है. बाण सागर बांध के जलाशय से मिलने वाले पानी से 22.00 किमी. लम्बी कामन वाटर कैरियर तथा 15.24 किमी. लम्बी कामन फीडर के माध्यम से लाये जाने की योजना है.

इसके बाद यूपी को अपने अंश का जल 71.49 किमी. लम्बी बाण सागर पोषक नहर द्वारा लाया जाना है. यूपी का जल अंश बाण सागर पोषक नहर से पानी को आद नाले में डालकर अदवा जलाशय तक लाया जाना प्रस्तावित है. अदवा जलाशय के अपस्ट्रीम में आद नाले पर अदवा बैराज का निर्माण कराया गया है. जहां से अदवा मेजा लिंक नहर द्वारा मेजा जलाशय एवं मेजा निरजों लिंक नहर से जिरगो जलाशय तक बाण सागर जलाशय से प्राप्त होने वाले जल को इलाहाबाद, सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों को दिया जाना है. इस बाण सागर जलाशय से 100.132 हजार हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित किया जाना है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पानी न छोड़े जाने से इन जिलों में पानी की भारी किल्लत हो गयी है.

मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बिहार सरकार बाँध के संचालन और रख-रखाव का खर्च उठा रही है. बिहार को उसी अनुपात में पानी संग्रहीत कर दिया जा रहा है. लेकिन समझौते के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो संचालन और रख-रखाव की लागत में अपनी हिस्सेदारी दी और न ही किसी प्रकार का राज्य सरकार से इस विषय में संवाद किया. जबकि यूपी सरकार के सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव का कहना है कि यूपी ने अपने हिस्से का धन बाण सागर परियोजना के लिए समय-समय पर जारी किया है. इसलिए यूपी को हर हाल में पानी मिलना चाहिए. अन्यथा सरकार कड़े कदम उठाने को बाध्य होगी.



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