एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की नजरें अब उत्तर प्रदेश पर

Last Updated 03 May 2015 03:49:50 PM IST

महाराष्ट्र में अपनी चुनावी पैठ बनाने में सफलता हासिल करने के साथ एआईएमआईएम अब उत्तर प्रदेश पर ध्यान केन्द्रीत कर रही है.


एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फाइल)

ऐसा लगता है कि वह समाजवादी पार्टी और बसपा के समर्थन आधार में सेंध लगाने की कोशिश में है.
    
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘हम उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रहे हैं.’’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह राज्य में ऐसे समय में अपनी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहे हैं जब सत्तारूढ समाजवादी पार्टी जनता से किये गये वादों को पूरा करने में विफल रही है.
   
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने हैं.
   
एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सांसद ओवैसी ने कहा कि अभी यह कहना बहुत ही जल्दबाजी होगी कि क्या उत्तर प्रदेश में एआईएमआईएम किसी अन्य पार्टी के साथ गठजोड़ करेगी.
    
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ने के मुद्दे पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है. बिहार में इस साल के अंत में और पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने वाले हैं. इन दोनों राज्यों में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है.
    
ओवैसी अतीत में अपने भड़काऊ बयानों को लेकर विवाद में रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा अदालतों के समक्ष कानून व्यवस्था के बारे में आशंका का हवाला देकर उनकी सभी रैलियों को अंतिम क्षणों में रद्द किया जा रहा है.
    
ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में भी उन्हें बेंगलूर में रैलियों को संबोधित करने की इजाजत नहीं दी जा रही है जबकि एआईएमआईएम राज्य में एक पंजीकृत दल है.
    
हैदराबाद से तीन बार सांसद रहे 45 वर्षीय ओवैसी ने उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सरकारों की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘कोई राज्य किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है. मुझे इजाजत नहीं देने के लिए वे सांप्रदायिकता बनाम धर्मनरिपेक्षता की बहस शुरू कर देते हैं.’’
   
साथ ही उन्होंने यह स्वीकार किया कि उनके गृह राज्य तेलंगाना में उनके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
    
ओवैसी ने कहा कि यह विरोधाभास है कि वह देश की सबसे ‘‘बड़ी पंचायत’’ (संसद) में बोल सकते हैं लेकिन राज्य में कुछ नहीं बोल सकते. उन्होंने अपने विरोधियों के उस आरोप को खारिज किया कि वह चुनाव लड़कर भाजपा को मदद कर रहे हैं.
    
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भाजपा की कड़ी विरोधी है. लेकिन अब उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में सपा सरकार और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार से मुकाबला करना है.
    
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में धर्मनिरपेक्ष दलों की असफलता को इस तथ्य के जरिये देखा जा सकता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक से 2009 से एक भी मुस्लिम लोकसभा सदस्य नहीं है.
    
ओवैसी ने कहा कि आठ वर्षों तक साथ रहने के बाद उनकी पार्टी 2012 में संप्रग से अलग हो गयी लेकिन उनके मन में अभी भी सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के प्रति सम्मान है.
    
पिछले कई दशकों से एआईएमआईएम हैदराबाद सिकंदराबाद में सक्रिय रही है. हाल में सम्पन्न हुए महाराष्ट्र के औरंगाबाद नगर निगम चुनाव में एआईएमआईएम ने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा और 25 पर सफलता हासिल की और शिवसेना के बाद वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. शिवसेना को 29 सीटें मिली.
    
कुल 113 सीटों में से भाजपा को 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा. इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने दो सीटें जीती थी.



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