देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी बसपा, मायावती का ऐलान

Last Updated 15 Apr 2015 06:52:08 PM IST

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए बहुजन समाज पार्टी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया.इसकी शुरूआत 27 अप्रैल से होगी.


देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी बसपा (फाइल फोटो)

लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार और उनकी पार्टी का चाल, चरित्र एवं चेहरा, उनकी नीति, कार्यशैली गरीब और किसान की हितैषी नहीं, बल्कि विरोधी है. वह हर प्रकार से पूंजीपतियों और धन्नासेठों के हित में है. इसी का खुलासा करने के लिए बसपा ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है.’

मायावती ने कहा कि पहले चरण में उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर 27 अप्रैल को सुबह 11 बजे से धरना दिया जाएगा. इसी तरह दो मई को देश के अन्य उन सभी राज्यों में धरना होगा, जहां पार्टी की उपस्थिति है.

उन्होंने कहा कि यह धरना तीन मुख्य मुद्दों- किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक, असमय बारिश और ओलावृष्टि के कारण उत्तर प्रदेश के किसानों को पेश आ रही दिक्कतों की केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनदेखी तथा सपा सरकार के तीन साल के शासनकाल में उत्तर प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था पर केंद्रित होगा.

मायावती ने कहा कि दूसरे चरण का आंदोलन 20 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में केन्द्र सरकार के रूख विशेषकर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उसके रूख के आधार पर तय किया जाएगा.

बसपा प्रमुख ने कहा कि वह आज और कल पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के साथ बैठक कर आंदोलन को सफल बनाने के निर्देश देंगी.

मायावती ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून लागू किया, जिसमें उनकी सरकार :उत्तर प्रदेश की पूर्व की बसपा सरकार: द्वारा बनायी गयी नीति के कुछ बिन्दुओं को शामिल किया गया था.

उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी कर राजग सरकार ने चंद गिने चुने पूंजीपतियों को अनावश्यक फायदा पहुंचाने की नीयत से कानून में संशोधन किये.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि प्रधानमंत्री :नरेन्द्र मोदी: और भाजपा :संशोधन लाने के लिए: जो तर्क दे रहे हैं, वे अधिकतर लोगों को गलत लग रहे हैं. हर तरफ से दबाव पड़ने के कारण केन्द्र सरकार नये विधेयक में नौ संशोधन लाने की बात कर रही है, जिनका कोई महत्व नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस तानाशाहीपूर्ण रवैये के कारण, कई प्रमुख किसान संगठन न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य हुए.

प्रधानमंत्री के 22 मार्च को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्र म का उल्लेख करते हुए मायावती ने कहा कि मोदी इस मुद्दे पर एकतरफा बोले. उन्हें किसानों के ‘मन की बात’ भी समझनी चाहिए और उसे मानना चाहिए, अन्यथा इस तरह का कार्यक्र म केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और लोगों को गुमराह करने का माध्यम बनकर रह जाएगा.

उन्होंने दावा किया कि पूर्व की बसपा सरकार प्रगतिशील भूमि अधिग्रहण नीति लायी थी. साथ ही कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को इस संबंध में एक पुस्तिका उपलब्ध करायी जाएगी ताकि वे जनता को इस बारे में अवगत करा सकें.

उत्तर प्रदेश और देश के अन्य राज्यों में असमय बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसल को हुए भारी नुकसान पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए मायावती ने कहा कि केन्द्र और राज्यों को मुआवजा तय करने के लिए उचित व्यवस्था बनानी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि जो घोषणाएं की जा रही हैं, उन पर अमल हो.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार केवल घोषणाएं कर रही है. इससे किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और कई किसानों की मौत भी हो चुकी है. मायावती ने बैंक और सूदखोरों से किसानों द्वारा लिये गये कर्ज की माफी के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी की.



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