उत्तर प्रदेश में टैबलेट खरीदे बगैर खर्च कर दिये 60 लाख
उत्तर प्रदेश में 10वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को भले ही टैबलेट न बंटा हो, लेकिन टैबलेट खरीद की प्रक्रिया में ही 60 लाख से ज्यादा उड़ा दिये गये.
टैबलेट खरीदे बगैर खर्च कर दिये 60 लाख |
विधानसभा में बुधवार को रखी गयी कैग रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि टैबलेट खरीदने के लिए 604.78 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन अभिलेखों की जांच में पाया गया कि 26.62 लाख टैबलेट खरीदने के बिड डाक्टूमेंट को अंतिम रूप दिया गया और व्यापक निविदा भी प्रकाशित की गयी, लेकिन कई चरण की प्रक्रिया के बाद भी किसी वेंडर का चयन नहीं हो सका.
कैग रिपोर्ट के मुताबिक योजना के आरम्भ से ही कक्षा दस की परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों को टैबलेट वितरण का क्रियान्वयन नहीं किया गया है.
इसके बाद भी प्रस्ताव तैयार करने पर 16 लाख 29 हजार, निविदा प्रकाश सूचना पर 43.32 लाख के अलावा प्री बिड सम्बेल पर 29 हजार व प्रतिष्पर्धात्मक बिड पर 16 हजार रुपये का निर्थक व्यय किया गया.
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि शासन ने बताया कि टैबलेट वितरण करने या फिर योजना को बंद करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर लम्बित था. ऐसे में बिना टैबलेट बांटे ही 60 लाख रुपये की चपत सरकारी खजाने को लगी है.
इसके साथ ही लेखा परीक्षा ने पाया है कि लैपटॉप वितरण मामले में 598 करोड़ से ज्यादा की धनराशि अवरुद्ध रही. कैग रिपोर्ट के मुताबिक 320.76 करोड़ में से शासन ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन लिमिटेड के व्यक्तिगत खाते में 1588.64 करोड़ रुपये जमा कराये. यह धनराशि मार्च 2013 में 1000 करोड़, मार्च 2014 में 588.64 करोड़ रखी गयी.
इसके बाद 990.31 करोड़ रुपये मार्च 2013 में, 2.91 करोड़ जून 2013 में, 240.32 करोड़ अगस्त 2013 में, 388.54 करोड़ एवं सितम्बर 2013 में 358.54 करोड़ की धनराशि निकाली गयी. शेष 598.33 करोड़ कारपोरेशन के निजी खाते में नवम्बर 2014 तक पड़े रहे.
लेखा परीक्षा ने बताया कि जिलों के जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के निजी लेखा खाता में नवम्बर 2014 तक 141.14 करोड़ रुपये की धनराशि पड़ी थी, जिसका भुगतान आपूर्ति लैपटॉप की एक वर्ष की वारंटी अवधि पूर्ण होने के बाद आपूत्तिकर्ता को किया जाना था
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