बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने पर बीजेपी की नजर

Last Updated 30 Jan 2015 07:17:18 PM IST

भाजपा उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों पर नजर जमाये बैठी बसपा के दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिश में है.


बसपा के दलित वोट बैंक पर भाजपा की नजर (फाइल फोटो)

बीते लोकसभा चुनाव और 2012 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त पराजय का सामना करने वाली बसपा अपने वोट बैंक को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रही है.

प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में हैं। हाल ही में संपन्न विधान परिषद चुनाव में लक्ष्मण आचार्य को मैदान में उतारे जाने और पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल को सदस्य बनाए जाने को दलितों के बीच पार्टी द्वारा अपनी छवि मजबूत करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है.

भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने के अनुरोध पर बताया कि वे लोग कई बसपा नेताओं के संपर्क में हैं, जो अलग थलग पड़े हैं या फिर बसपा से निकाल दिये गये हैं.

उन्होंने कहा कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद अनुसूचित जाति के लिए विशेष सदस्यता अभियान चलाया और आलाकमान से निर्देश भी मिले हैं कि सदस्यता अभियान के दौरान वरिष्ठ नेता दलितों की आबादी वाले क्षेत्रों में जाएं.

भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी मुख्य लड़ाई सपा से होगी क्योंकि बसपा लोकसभा चुनाव के झटके से उबरने के लिए संघषर्रत है. बसपा के वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी अपने कैडरों को फिर से संगठित नहीं कर पा रही है.

संपर्क करने पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हमारी नीति ‘सबका साथ सबका विकास’ है इसलिए समाज के हर वर्ग के लिए कार्य करना हमारे लिए स्वाभाविक है. सदस्यता अभियान में हमें समाज के हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है.

बसपा प्रमुख मायावती हालांकि लगातार कह रही हैं कि पार्टी का दलित वोट बरकरार है लेकिन वह अपने कैडरों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहतीं. यही वजह है कि उन्होंने राज्यसभा चुनावों में दलित उम्मीदवार ही मैदान में उतारे.

राज्यसभा चुनाव के लिए दलित उम्मीदवार उतारने के फैसले पर मायावती ने कहा कि वह चूंकि अन्य समुदायों को प्रतिनिधित्व नहीं दे पा रही हैं और उनकी पार्टी केवल दो सीटें जीत सकती है इसलिए उन्होंने दलितों को टिकट देने को तरजीह दी.

हाल ही में संपन्न विधान परिषद चुनाव में भी ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा मायावती ने दलित उम्मीदवारों धरमवीर अशोक और प्रदीप पर  भरोसा जताया. मायावती की एक चिन्ता यह भी है कि दो दलित नेता राम विलास पासवान और उदित राज भाजपा के नेतृत्व वाले राजग खेमे में हैं और वे बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं.

बसपा के एक नेता ने बताया कि दलित वोट बैंक के 65 फीसदी हिस्से पर काबिज एक जाति विशेष बसपा के साथ मजबूती से जुड़ी है. बसपा के अलावा बाकी राजनीतिक दल अन्य जातियों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.



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