यूपी सरकार के 610 करोड़ रुपये की मदद से बंद जिला सहकारी बैंक चालू होंगे

Last Updated 29 Jan 2015 12:39:54 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार के 610 करोड़ रुपये की मंजूरी के बाद अब बंद पड़े 16 जिला सहकारी बैंकों के खुलने का रास्ता साफ हो गया है.


बंद जिला सहकारी बैंक चालू होंगे (फाइल फोटो)

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में गैर लाइसेंस जिला सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त किये जाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है.

इसके तहत 16 गैर लाइसेंस जिला सहकारी बैंकों के पुनरुद्धार के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत योजना और अतिरिक्त धनराशि 484.85 करोड़ रुपये को राज्य सरकार के बजट से व्यय किया जायेगा.

कैबिनेट ने शर्त रखी है कि चालू वित्तीय वर्ष 2014- 15 के बजट में अल्पकालीन सहकारी साख व्यवस्था के पुनरुद्धार/ सुदृढ़ीकरण को प्रदेश के जिला सहकारी बैंकों के लिए प्राविधानित धनराशि 610 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त कर निबंधक के डिस्पोजल पर रहेगी.

इस धनराशि को भारत सरकार से अनुमोदित योजना के अनुसार केंद्र से धनराशि प्राप्त होने के बाद ही उपयोग किया जा सकेगा. इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए यथावश्यक अग्रेतर धनराशि के आवंटन/ परिवर्तन/ संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को कैबिनेट ने अधिकृत किया है.

मुख्यमंत्री के अनुमोदन से पूर्व वित्त विभाग का परामर्श/ सहमति भी प्राप्त की जायेगी.

गौरतलब है कि प्रदेश में बंद पड़े 16 जिला सहकारी बैंकों को चालू करने के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार से प्रयास किया. भारत सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके तहत भारत सरकार फिलहाल 400 करोड़ रुपये की राशि राज्य को देगा. नाबार्ड से 250 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी. भारत सरकार से अगले 510 करोड़ रुपये की राशि मिलने की उम्मीद है.

कैबिनेट ने प्रांतीय विकास सेवा से सेवानिवृत्त खंड विकास अधिकारियों को रिक्त पदों के सापेक्ष 100 से अधिक पदों पर शर्त के अधीन पुनर्योजित किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है. इसके लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे, जिसमें अभ्यर्थी का कार्यकाल 3 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक अथवा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से पर्याप्त खंड विकास अधिकारी उपलब्ध होने, जो भी पहले हो, तक होगा. नियुक्तियां केवल सीधी भर्ती के उन पदों के विरुद्ध ही की जायेंगी जिनके अधियाचन उप्र लोक सेवा आयोग इलाहाबाद को प्रेषित किये जा चुके हैं.

इच्छुक अभ्यर्थियों में से उपयुक्त पात्रों का चयन पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए प्रादेशिक विकास सेवा नियमावली-1991, संशोधित (2013) में उल्लिखित श्रेणी-1 के पद पर पदोन्नति के लिए गठित विभागीय चयन समिति के समरूप समिति द्वारा किया जायेगा. ये सभी पद नि:संवर्गीय होंगे और इनका पदनाम विशेष कार्याधिकारी (खंड विकास) पदेन खंड विकास अधिकारी रखा जायेगा.

खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग सेवा नियमावली 2012 में संशोधन

कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (खाद्य सुरक्षा संवर्ग) (समूह ‘क’ ‘ख’ एवं ‘ग’) सेवा नियमावली 2012 में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (खाद्य सुरक्षा संवर्ग) (समूह ‘क’ ‘ख’ व ‘ग’) सेवा नियमावली 2012 में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद पर चयन के लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किसी संस्था से विनिर्दिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त करना निर्धारित है.

इस प्रशिक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा कोई संस्था न होने के फलस्वरूप खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद पर चयन केलिए पात्र अभ्यार्थी उपलब्ध होने की संभावना नहीं थी। इस संबंध में उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका के क्रम में 25 अप्रैल, 2014 को पारित आदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के रिक्त पदों पर चयन के लिए अधियाचन लोक सेवा आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए थे.

चयन के बाद अपेक्षित प्रशिक्षण प्रदान कराने का भी निर्देश दिया गया था. इस क्रम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के रिक्त 430 पदों पर चयन के लिए अधियाचन लोक सेवा आयोग को प्रेषित किया गया है. इसलिए चयन के बाद प्रशिक्षण के लिए नियमावली में संशोधन किया गया है.



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