कोली की फांसी के अमल पर रोक बढ़ी

Last Updated 23 Dec 2014 05:46:51 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड में फांसी की सजा पाए सुरेन्द्र कोली की फांसी के अमल पर लगी रोक सोमवार को एक बार फिर बढ़ा दी.


निठारी कांड के दोषी सुरेन्द्र कोली (फाइल फोटो)

कोली की फांसी की सजा को लेकर मुख्य  न्यायाधीश की बेंच में अन्तिम सुनवाई होनी थी परन्तु पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच के विरोध में यहां के वकीलों की हड़ताल के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट ने इस कारण सजायाफ्ता कोली को फांसी दिये जाने के कोर्ट के आदेश के अमल पर लगी रोक को एक बार फिर बढ़ा दिया है.

मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ व न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने कोली की दया याचिका खारिज किये जाने के मामले में केन्द्र व राज्य सरकारों से जवाब मांगा था. यही नहीं अदालत ने राष्ट्रपति व उप्र के राज्यपाल के कार्यालय में पड़े उन पत्र व कागजातों को कोर्ट में पेश करने को कहा था जिसके आधार पर सुरेन्द्र कोली की दया अर्जी खारिज की गयी थी, परन्तु हाईकोर्ट में वकीलों की हड़ताल के चलते इस प्रकरण पर सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी.

न्यायालय इस याचिका पर अब 9 जनवरी 2015 को पुन: सुनवाई करेगी. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ व न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स की जनहित याचिका पर दिया है.

इस जनहित याचिका में प्रमुख रूप से यह आधार लिया गया था कि डासना जेल, गाजियाबाद में बंद कोली की दया याचिका को उप्र के राज्यपाल व राष्ट्रपति के यहां से निस्तारित करने में तीन वर्ष तीन माह का असाधारण विलम्ब किया गया है. हाईकोर्ट ने इस कारण राष्ट्रपति व राज्यपाल के यहां से उन सभी पत्रजातों को पेश करने को कहा है, जो कोली की दया याचिका से संबंधित है. आठ फरवरी 2005 को 14 वर्षीय एक लड़की रिम्पा हलधर के लापता होने का मामला दर्ज हुआ चूंकि मामला निठारी कांड से संबंधित था, इस कारण इसकी जांच सीबीआई कर रही थी. कोली को इस मामले में 29 दिसम्बर 2006 को गिरफ्तार कर लिया गया. सीबीआई ने इस मामले में 19 मई 2007 को आरोप पत्र दायर किया.

गाजियाबाद के एडिशनल सत्र न्यायाधीश ने कोली को धारा 302, 364, 376, 511, 120 बी आईपीसी के अन्तर्गत फांसी की सजा सुनायी. हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत की सजा पर मुहर लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत व हाईकोर्ट के फैसले को सही माना तथा कोली की फांसी की सजा को बरकरार रखा.

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितम्बर 2014 को आदेश पारित कर कोली की फांसी की सजा पर 28 अक्टूबर 14 तक रोक लगा दी तथा निर्देश दिया था कि 28 अक्टूबर को उसके पुनर्विचार की अर्जी पर कोर्ट सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को कोली की पुनर्विचार अर्जी को भी खारिज कर दिया. अब पीयूडीआर ने जनहित याचिका दायर कर राष्ट्रपति व राज्यपाल द्वारा दया याचिका खारिज करने के आदेशों को चुनौती दी है तथा कहा है कि उनके आदेश असंवैधानिक हैं. इस कारण उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किया जाए. अब इस मामले की सुनवाई 9 जनवरी को होगी.



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