शादी के मकसद से धर्म परिवर्तन अवैध
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करने को अवैध करार दिया है और कहा है कि ऐसे प्रेम विवाह भी शून्य हैं.
शादी के मकसद से धर्म परिवर्तन अवैध : इलाहाबाद हाईकोर्ट |
कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में विश्वास के आधार पर ही धर्म परिवर्तन किया जा सकता है.
केवल मुस्लिम लड़कों से विवाह के लिए इस्लाम कबूल करने व इस्लाम में आस्था न होने के कारण पांच हिन्दू लड़कियों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने श्रीमती नूरजहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्र व अन्य की याचिका पर दिया है.
कोर्ट ने जब लड़कियों से इस्लाम के बारे में पूछा तो उन्होंने इस्लाम के प्रति अनभिज्ञता जतायी. बिना इस्लाम की जानकारी के हिन्दू लड़कियों ने मुस्लिम लड़कों से शादी के लिए इस्लाम कबूल कर लिया.
लड़कियां सिद्धार्थनगर, देवरिया, कानपुर, संभल, प्रतापगढ़ आदि जिलों की हैं. कोर्ट ने कहा है कि कोई भी स्वस्थचित्त बालिग व्यक्ति पैगम्बर मोहम्मद में आस्था के आधार पर धर्म परिवर्तन कर सकता है. उसका अल्लाह व कुरआन में विश्वास हो. उसका हृदय परिवर्तन हुआ हो. उसकी धार्मिक आस्था में बदलाव हुआ हो.
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं माना जा सकता. बिना विश्वास, आस्था व वास्तविक बदलाव के धर्म परिवर्तन मान्य नहीं है.
शादी के लिए धर्म बदलना शून्य है. धर्म के प्रत्येक सिस्टम व सिद्धान्तों को अपनाकर ही धर्म परिवर्तन किया जा सकता है.
धर्म परिवर्तन सदाशयता पूर्ण होना चाहिए.
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