जबरन या धोखे से न हो धर्मातरण : हाई कोर्ट

Last Updated 18 Dec 2014 06:46:02 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि धर्मान्तरण का मुद्दा बहुत गंभीर है.


जबरन या धोखे से न हो धर्मातरण

पीठ ने कहा कि अदालतों को सुनिश्चित करना चाहिए कि बिना पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाए धर्म पर्वितन न हो. कहा कि संविधान ने प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है इसलिए किसी को जबरन व दबाव में धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता.

अदालत ने बहराइच के पारिवारिक न्यायालय द्वारा एकतरफा दिये गये स्थगन आदेश को खारिज कर दिया है जिसके द्वारा जैन धर्म की युवती को मुस्लिम धर्म के युवक के साथ रहने का आदेश दिया गया था.

पीठ ने बिना दूसरे पक्ष की आपत्ति को सुने एकतरफा स्थगन आदेश जारी किये जाने पर आश्र्चय जताया तथा स्थगन आदेश को निरस्त करते हुए निचली अदालत से कहा कि वह दोनों पक्षों की बात सुनकर शीघ्र निस्तारण करें.

यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने जैन समुदाय की पीड़ित युवती व अन्य द्वारा दायर अपील कर दिये हैं. अपील प्रस्तुत कर पारिवारिक न्यायालय बहराइच द्वारा दिये गये स्थगन आदेश को चुनौती दी गयी थी.

कहा गया कि निकाहनामे के आधार पर एक मुस्लिम युवक ने जैन युवती से विवाह की बात कहते हुए पारिवारिक न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त किया.

पारिवारिक न्यायालय बहराइच ने 12 नवम्बर 2014 को आदेश देते हुए कहा कि युवती गैर धर्म के युवक के साथ बतौर पत्नी रहे तथा युवती के पिता व घर के लोग कोई बाधा उत्पन्न न करे. अदालत ने इस प्रकार से दिये गये आदेश को खारिज कर दिया है.



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