गीताप्रेस गोरखपुर में अनिश्चितकालीन तालाबंदी

Last Updated 17 Dec 2014 12:36:12 PM IST

धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशक उत्तर प्रदेश के गीताप्रेस गोरखपुर में अनिश्चितकाल के लिये तालाबंदी कर दी गई है.


गीताप्रेस में तालाबंदी
वेतन विसंगतियों को लेकर कर्मचारियों का आक्रोश पिछली तीन दिसम्बर को फूट पड़ा था जब कर्मचारियों ने प्रबंधन के खिलाफ पहली बार आवाज बुलंद की थी.
 
इस बीच कर्मचारी अपने मूल दायित्व को निभाते हुये कुछ अंतराल पर हडताल पर जाते रहे थे. तालाबंदी के पीछे प्रबंधन का तर्क है कि कल बगावती कर्मचारियों के साथ बाहरी अराजक तत्वों ने उनके कक्ष में घुसकर अभद्रता की थी, इसलिये मजबूरन प्रेस में तालाबंदी का निर्णय लेना पड़ा.
 
कोतवाली क्षेत्र के भीडभाड़ वाले रेती रोड में स्थित कार्यालय में आज सुबह ड्यूटी के लिये पहुंचे कर्मचारी गेट पर ताला देखकर आगबबूला हो गये. कुछ ही देर मे वहां कर्मचारियों का हुजूम जमा हो गया और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गयी.
 
कर्मचारी जुलूस की शक्ल में जिलाधिकारी आवास की ओर बढ़े. कर्मचारीयों के उग्र तेवरों को भांपकर पुलिस प्रशासन ने जरूरी इंतजाम कर रखे थे. अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की और प्रबंधन से तालाबंदी खुलवाने का आश्वासन दिया तब जाकर कर्मचारी शांत हुये.
 
1923 में गीताप्रेस की स्थापना जयदयाल गोयनका ने की थी और तबसे यह प्रतिष्ठान एक दिन के लिये भी कभी बंद नहीं हुआ. श्रीमद्भागवत समेत हिन्दू धर्मग्रंथों के लिये विख्यात गीताप्रेस में हिन्दी और संस्कृत समेत 15 भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन होता है.
 
संस्थान में मौजूदा समय में 189 कर्मचारी कार्यरत हैं. हाल ही में प्रबंधन ने कर्मचारियों के वेतन में 19 से 14 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी मगर कर्मचारी वेतन में 10 प्रतिशत और की बढोत्तरी की मांग पर अड़े हुये हैं. हालांकि प्रबंधन तीन प्रतिशत और वृद्धि के  लिये तैयार है.
 
13 दिसम्बर को श्रमिकों द्वारा ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल का घेराव कर गाली-गलौज करने व धमकी देने और 15 दिसम्बर को ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल व देवीदयाल अग्रवाल के मकान में जबरदस्ती घुसने का प्रयास करने की बात भी नोटिस में कही गई.
 
नोटिस में कहा गया कि श्रमिकों की हड़ताल बिना सूचना के पूर्ण रूप से उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 6 (एस) के उल्लंघन में की गई है और गैर कानूनी है. गैर कानूनी हड़ताल की दशा में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 3(एस) प्रबंधतंत्र को तालाबंदी घोषित करने का अधिकार देती है.
 
ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल के हस्ताक्षर वाली नोटिस में कहा गया कि अराजक माहौल में प्रबंधतंत्र द्वारा प्रतिष्ठान चलाना संभव नहीं है और कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है. अत: 16 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन तालाबंदी की जाती है.
 
इसके साथ ही प्रबंधतंत्र ने गीताप्रेस के मुख्य द्वार पर एक और नोटिस चस्पा कर गीताप्रेस के कर्मचारियों मुनिवर मिश्रा, विरेन्द्र बहादुर सिंह तथा रामजीवन शर्मा पर श्रमिकों को भड़काने तथा उकसाने का आरोप लगाते हुए उनकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई. इसकी जानकारी होते ही गीताप्रेस गेट पर बड़ी संख्या में कर्मचारी जमा हो गए. साथ ही भारी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात हो गया.



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