स्कूल में राज्यमंत्री के ‘दुर्व्यवहार’ का मुद्दा सदन में उठा, निर्णय सुरक्षित
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति ने माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री दुर्व्यवहार के मामले पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
राज्यमंत्री के ‘दुर्व्यवहार’,निर्णय सुरक्षित (फाइल फोटो) |
सभापति ने राज्य के बांदा जिले में एक राजकीय बालिका इंटर कालेज में सूबे के माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री के प्रधानाचार्या, अध्यापिकाओं और एक छात्रा से कथित दुर्व्यवहार के मामले पर गुरुवार को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया.
शून्य काल के दौरान बसपा सदस्यों ने गत सात नवम्बर को प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री द्वारा बांदा में स्थित राजकीय बालिका इण्टर कालेज के निरीक्षण के दौरान किये गये कथित दुर्व्यवहार का मामला कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये सदन में उठाया.
सदन में बसपा और विपक्ष के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि गत सात नवम्बर को बांदा शहर स्थित राजकीय बालिका इंटर कालेज में माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री ने अपने निरीक्षण के समय विद्यालय की प्रधानाचार्या और अध्यापिकाओं के साथ अमर्यादित तथा अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया. साथ ही कक्षा नौ की एक छात्रा के प्रति असंसदीय और अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया जो लिखने योग्य नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह छात्रा उनके मुंहबोले भाई की बेटी है.
हालांकि नेता प्रतिपक्ष ने उस राज्यमंत्री का नाम स्पष्ट नहीं किया. बहरहाल, उन्होंने इस घटनाक्रम की रिकार्डिग की एक सीडी सदन में पेश करते हुए कहा कि यह पूरी घटना बेहद निन्दनीय है और इसे अंजाम देने वाले ऐसे व्यक्ति को एक क्षण भी अपने पद पर रहने का अधिकार नहीं है.
सिद्दीकी ने कहा कि राज्यमंत्री को सदन के अंदर और बाहर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिये. साथ ही उन्होंने इस मामले पर दो घंटे की चर्चा की भी मांग की.
सरकार की तरफ से जवाब देते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अम्बिका चौधरी ने इस मामले को गम्भीर बताया लेकिन साथ ही इसे कार्यस्थगन प्रस्ताव के तौर पर सदन में उठाने को नियम विरुद्ध बताते हुए इसे निरस्त करने का आग्रह किया.
चौधरी ने कहा कि राज्य के किसी मंत्री या सदन के किसी सदस्य पर आक्षेप लगाने के लिये कार्यस्थगन प्रस्ताव का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिये. यह प्रकरण नियम 105 का विषय ही नहीं है.उन्होंने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष द्वारा तथ्यों के तौर पर पेश की जा रही बातों को चुनौती नहीं दे रहे हैं लेकिन सदन के किसी सदस्य पर आक्षेप लगाने की दूसरी प्रक्रिया है. इसके कई उदाहरण भी हैं.
नेता सदन अहमद हसन ने भी कहा कि इस प्रकरण को कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये सदन में नहीं लाया जा सकता. इस पर सभापति गणोश शंकर पाण्डेय ने अपना निर्णय सुरक्षित करते हुए कहा कि आगामी 26 नवम्बर को वह सदस्यों का पक्ष सुनने के बाद फैसला करेंगे.
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