‘क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी’ योजना को लगे पंख
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी ‘क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी’ योजना को पंख लग गये हैं.
क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी को लगे पंख (फाइल फोटो) |
लखनऊ में मुख्यमंत्री ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी जनपदों के सरकारी अस्पतालों में कम से कम दस-दस पौधों का तत्काल रोपण किया जाए.
सीएम के निर्देश पर प्रमुख वन संरक्षक डा. रूपक डे ने प्रदेश के सभी मुख्य वन संरक्षक/वन संरक्षकों को पत्र लिखकर सीएम की योजना को अमली जामा पहनाने को कहा है. डा. डे ने सभी वनाधिकारियों को जारी निर्देश में कहा है कि अस्पतालों में रोपित किये जाने वाले पौधे छायादार होने चाहिए और रोपण के समय उनकी लम्बाई आठ से 12 फीट होनी चाहिए.
बनारस दौरे के समय प्रधानमंत्री ने प्रदेश की जिन हस्तियों को सफाई अभियान के लिए मनोनीत किया था, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनमें पहले नम्बर पर थे. तब सीएम ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में पहले से ही ‘क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी’ योजना चल रही है. इसके बाद से ही इस योजना पर काम तेज कर दिया गया. योजना की शुरुआत अस्पतालों से की गयी है.
सीएम ने घोषणा की है कि सबसे स्वच्छ अस्पताल को 50 लाख रुपये दिये जाएंगे. क्लीन यूपी के साथ ही ग्रीन यूपी की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गयी है. ग्रीन यूपी के पहले चरण में राज्य के अस्पतालों को ही चयनित किया गया है.
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) डा. रूपक डे ने प्रदेश के सभी मुख्य वन संरक्षक/वन संरक्षक व डीफओ को 15 नवम्बर को निर्देश जारी किया है कि डीएफओ अपने-अपने जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी से मिलकर सभी प्राथमिक चिकित्सालय, सामुदायिक चिकित्सालय व जिला चिकित्सालयों की सूची बनाकर मुख्यालय को प्रेषित करें.
पीसीसीएफ ने निर्देश में कहा है कि सूची बनाने के बाद सभी सरकारी अस्पतालों में कम से कम दस-दस पेड़ों का तत्काल रोपण किया जाए. रोपण के बाद उनकी सुरक्षा के लिए आयरन ट्री गार्ड या आरसीसी ट्री गार्ड लगाकर उन्हें सुरक्षित किया जाए.
ग्रीन यूपी योजना के तहत लगाये गये पौधों की सारी जानकारी मुख्यालय को भेजी जाए. रोपण किये जाने वाले पौधों (लम्बाई 8-12 फीट) की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग व चिकित्सालय प्रभारी की संयुक्त रूप से रहेगी.
ग्रीन योजना को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री की फिक्रमंदी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस योजना की समीक्षा प्रत्येक सप्ताह किये जाने के निर्देश हुए हैं. सरकारी महकमे में यह र्चचा का विषय है कि केन्द्र के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की टक्कर में सूबे में ये योजना चलायी जा रही है.
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