पंचों का फरमान, अपना हो निजाम
तुगलकी फरमानों और पंचायतों के लिए मशहूर रहे जनपद मुजफ्फरनगर में मिरासी बिरादरी की महापंचायत में एक और फरमान जारी किया गया है.
महापंचायत में मौजूद पंच. |
जिसमें सिस्टम से अलग होकर अपना निजाम कायम करने का निर्णय लेते हुए बिरादरी के मुकदमों की सुनवाई पंचों द्वारा किए जाने के साथ ही सजा मुकर्रर करने का अधिकार भी पंचों को देते हुए सर्वसम्मति से मोहर लगा दी गई है.
जनपद में जहां अब तक आन, बान और शान के लिए ऑनर किलिंग जैसे फरमान आसानी से सुना दिए जाते हैं, वहीं सिस्टम का बहिष्कार कर अपना अलग निजाम बनाने का यह पहला मामला है.
मंगलवार देर रात मुजफ्फरनगर के मिमलाना रोड पर मिरासी बिरादरी की एक महापंचायत हुई, जिसमें बिरादरी के बजुगोर्ं से लेकर बच्चों तक ने शिकरत की.
पंचायत में जहां समाज के पिछड़ेपन, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों को गहराई से उठाया गया, वहीं वर्तमान निजाम से असंतोष जताते हुए सिस्टम से अलग हटकर अपना नया निजाम बनाने की पुरजोर वकालत की गई.
लम्बी बहस के बाद निर्णय लिया गया कि मिरासी समाज का कोई भी मामला पुलिस या अदालत नहीं जाएगा, बल्कि बिरादरी द्वारा नियुक्त किए गए पंचों के बीच मामले को रखकर उसकी सुनवाई की जाएगी और मामले की तह तक जाकर तुरन्त उसमें सजा सुनाई जाएगी.
महापंचायत में प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि बिरादरी का कोई भी युवक व व्यक्ति किसी भी लड़की या महिला के साथ छेड़खानी करता है, तो पंचों की सहमति से उसे बीच चौराहे पर खड़ा कर न केवल जूतों से पीटा जाएगा, बल्कि उसके गले में जूतों का हार डालकर उसे चौराहों पर घुमाया जाएगा.
इसके अलावा निर्णय लिया गया कि बिरादरी की अगली बैठक में अपने कानून खुद बनाए जाएंगे और ये कानून इतने सख्त होंगे कि बिरादरी के लोग कोई भी गलत काम न करें और तरक्की के रास्ते पर चल निकलें. लगभग सात घंटे चली पंचायत में समाज के हर पहलू पर बारीकी से चर्चा करते हुए अपने समाज को तरक्की की ओर ले जाने के सभी पहलूओं पर गौर किया गया.
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