अपना दल के राष्ट्रीय महासचिव पद से हटायी गयीं सांसद अनुप्रिया पटेल

Last Updated 28 Oct 2014 01:48:44 PM IST

अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से हटा दिया गया है.


सांसद अनुप्रिया पटेल (फाइल फोटो)

अनुप्रिया की मां और अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने सोमवार को कानपुर में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपनी बेटी को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी महासचिव के पद से हटाने की घोषणा की.

कृष्णा ने कहा ‘‘अनुप्रिया ने कुछ चाटुकारों के प्रभाव में आकर अनुशासनहीनतापूर्ण कार्य किये. लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने एक राष्ट्रीय कमेटी घोषित कर दी. उसमें ऐसे सदस्य रखे जिन्हें मैं जानती तक नहीं. उसके बाद गलत ढंग से कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाये रखा.’’

उन्होंने कहा ‘‘अभी 20 तारीख को अनुप्रिया ने मेरे अधिकार के बारे में कहा कि मेरे सारे काम वह ही देखेंगी, यह तो गलत बात है. मेरी मर्जी के बगैर यह कैसे हो जाएगा.’’

कृष्णा ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन अनुप्रिया का अकेले का फैसला नहीं था. वह बगैर चिह्न के चुनाव लड़ना चाहती थीं, जबकि मैंने कहा कि हम अपने चुनाव निशान पर ही मैदान में उतरेंगे.

अनुप्रिया को पार्टी से निकाले जाने की सम्भावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ साफ ना बताते हुए कहा, ‘‘यह पार्टी एक आंदोलन है. इसमें सबका सहयोग चाहिये. अनुप्रिया पार्टी की सदस्य तो हैं ही.’’

इस बीच, अनुप्रिया ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी के हित में काम किया और उन पर लगा अनुशासनहीनता का इल्जाम सरासर नाइंसाफी है.

अनुप्रिया ने एक बयान में आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष संविधान के सभी नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से संगठन चलाना चाहती हैं, जिससे मैं असहमत हूं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘परिवार और दल के कुछ स्वार्थी और महत्वाकांक्षी लोग पांच वर्षों के मेरे कठिन परिश्रम को भुनाने और अपना दल-भाजपा गठबंधन को तोड़कर अपना हित साधने में लगे हैं. इस षड्यंत्र को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’’

अनुप्रिया ने कहा, ‘‘मैंने पांच वर्षों में दल या परिवार को कोई क्षति नहीं पहुंचायी, बल्कि वर्ष 2012 में विधानसभा और 2014 में लोकसभा का चुनाव जीतकर दल का सम्मान बढ़ाने का काम किया.’’

उन्होंने अपनी मां और पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल के आरोप को गलत बताते हुए कहा, ‘‘भाजपा ने मेरे सामने अपना दल के विलय का प्रस्ताव रखा था जिसे मैंने ठुकरा दिया. मुझ पर भाजपा के चिह्न पर चुनाव लड़ने के फॉर्मूले के तहत गठबंधन का दबाव डाला गया लेकिन मैंने फिर भी अस्वीकार कर दिया.’’

अनुप्रिया ने कहा कि रोहनिया विधानसभा उपचुनाव में पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने खुद मैदान में उतरने का फैसला किया था. उस उपचुनाव में मैंने पूरी मेहनत से काम किया और अपना दल प्रत्याशी को वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से ज्यादा वोट मिले. यह बात अलग है कि पार्टी को कामयाबी नहीं मिली, लेकिन मुझे इसका दोष नहीं दिया जाना चाहिये.

गौरतलब है कि अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल के अपनी बड़ी बेटी पल्लवी को उपाध्यक्ष बनाने के अनुप्रिया द्वारा मुखर विरोध किये जाने के बाद से ही उनके रिश्तों में खटास पैदा हो गयी थी.

अनुप्रिया ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करके पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल द्वारा पल्लवी को उपाध्यक्ष बनाये जाने के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि पार्टी के संविधान में उपाध्यक्ष पद का प्रावधान नहीं है और अध्यक्ष द्वारा किसी नये पद का सृजन नहीं किया जा सकता.



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