अवैध तरीके से निर्माण करा रहे नोएडा में पांच बिल्डरों की साइट सील

Last Updated 20 Oct 2014 12:18:58 PM IST

अवैध तरीके से ग्रुप हाउसिंग का निर्माण करा रहे बिल्डरों को प्राधिकरण ने बड़ा झटका दिया है.




नोएडा में पांच बिल्डरों की साइट सील (फाइल फोटो)

रविवार को सेक्टर-110 के पास भंगेल गेझा रोड पर पांच बिल्डरों के निर्माण कार्य को रोककर साइट को सील कर दिया है. यह कार्रवाई वर्क सर्किल-8 के परियोजना अभियंता एमसी त्यागी के नेतृत्व में की गई.

कार्रवाई की जद में आने वाले बिल्डरों में मेसर्स कावेरी बिल्डर एंड कांट्रेक्टर प्राइवेट लिमिटेड, नारायण हरि इंफास्ट्रक्चर लिमिटेड, वसुन्धरा हाइट्स, विला वोगस और फोर टी एस ग्रीन हैं.

प्राधिकरण ने अवैध निर्माण कर रहे आठ बिल्डरों को निर्माण कार्य रोकने के लिए 24 सितम्बर को नोटिस जारी किया था. इसके बावजूद बिल्डरों ने निर्माण कार्य बंद नहीं किया और न ही प्राधिकरण के नोटिस का जवाब दिया. इनमें से पांच बिल्डरों का निर्माण कार्य भंगेल के खसरा संख्या 176, 177, 178, 179 और 189 पर चल रहा था.

प्राधिकरण की ओर से जारी नोटिस के बाद बिल्डर ने अपनी साइट से बोर्ड हटवा लिए थे. प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि भंगेल गेझा रोड पर महर्षि आश्रम के पास स्थित 50 बीघे जमीन पर अवैध तरीके से निर्माण कराए जा रहे थे.

एक बिल्डर ने 50 से ज्यादा फ्लैट लगभग तैयार कर लिए थे जबकि अन्य के दफ्तर आदि बनकर तैयार हुए थे.

प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक यह भूमि अधिसूचित क्षेत्र में है और इसका अधिग्रहण किया जाना है. प्राधिकरण के एसीईओ वीके पंवार ने बताया कि भंगेल गांव में जिन पांच स्थानों पर निर्माण कार्य किया जा रहा था वह जमीन नोएडा प्राधिकरण के मास्टर प्लान की है. यह जमीन ग्रीन बेल्ट और सड़क के निर्माण के लिए छोड़ी गई थी. ऐसे में इन जगहों पर निर्माण नहीं कराया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि गांव की जमीन पर ग्रुप हाउसिंग का निर्माण कार्य नहीं करने दिया जाएगा. ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

दरअसल सेक्टर-84 स्थित इलाबांस गांव में अवैध रूप से बन रहे कावेरी अपार्टमेंट का निर्माण कार्य प्राधिकरण ने द्मपिछले माह रोक दिया था. प्राधिकरण ने कावेरी बिल्डर को भी नोटिस जारी किया था. कावेरी ने निर्माण कार्य न रोकने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. कावेरी इस मामले का लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गया लेकिन उसे राहत नहीं मिली.



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