सुसाइड के पीछे 250 करोड़ का घोटाला

Last Updated 17 Oct 2014 06:01:08 AM IST

संकल्प आनंद के शव के पास से मिले सुसाइड नोट से साफ संकेत मिला है कि संस्थान के कई वरिष्ठ लोगों ने लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए का घोटाला खुद किया और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया.


संकल्प और उनकी पत्नी का फाइल फोटो

राजधानी दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस में प्रोफेसर रहे संकल्प आनंद के शव के पास से कोसीकलां (मथुरा) में जो सुसाइड नोट पुलिस को मिला है, उसमें साफ कहा गया है कि संस्थान के कई वरिष्ठ लोगों ने लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए का घोटाला खुद किया और उन्हें बलि का बकरा बना कर वे लगातार ब्लैकमेल करते रहे. ब्लैकमेल से भी जी नहीं भरा तो वह उनसे खुलेआम रुपए मांगने लगे.

अंग्रेजी में लिखे करीब दस पेज के इस सुसाइड नोट में संकल्प आनंद एवं उनकी पत्नी नरेश नन्दनी ने हस्ताक्षर करते हुए 14 अक्टूबर की तिथि भी लिखी है. सुसाइड नोट में संस्थान के ही अधिकारियों द्वारा भर्ती के नाम पर करोड़ों रुपए की वसूली  करने तथा एक कंपनी में शेयर डालने के लिए वसूली गई ढाई सौ करोड़ की रकम का घोटाला करने के बाद उन्हें अपने मकड़जाल में फंसा लिया.

यह लोग उससे समय-समय पर रकम की मांग करते थे और न देने पर भुगतने की चेतावनी भी देते थे.  संकल्प आनंद ने सुसाइड नोट के साथ एक दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की नामों की लिस्ट भी दे दी है. लिस्ट में  डीआईजी संदीप मित्तल व एमके डावा के नाम भी हैं.

संकल्प ने इन सभी लोगों को उन्हें आत्महत्या को उकसाने व मजबूर करने का जिक्र करते हुए लिखा है कि परिवार सहित मौत को गले लगा लेने के बाद ही उन्हें इस जाल से मुक्ति मिल सकती है क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति इस भारी-भरकम रकम को अदा करने की नहीं है जो उन लोगों ने धोखाधड़ी से हड़प ली और उन्हें देनदारी के लिए जिम्मेदार बना दिया.

थाना कोसीकलां पुलिस ने बताया कि संकल्प आनंद के इस सुसाइड नोट में कई लोगों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे गए हैं. यह भी कि उक्त लोगों ने उन्हें समय- समय पर धमकाया और रुपयों की मांग की. नोट के मुताबिक  जिस इंस्टीट्यूट में वह लेक्चरर थे, उसमें बड़ा घोटाला हो रहा था. डायरेक्टर उन पर निर्माण एवं शिक्षण कार्य के लिए मिलने वाली रकम में घपला करने के लिए दबाव बना रहे थे. 

ढाई सौ करोड़ रुपए की इस रकम के खर्च की जिम्मेदारी भी संकल्प के कंधों पर ही डाल दी गई थी. ढाई सौ करोड़ रुपए की एक प्रतिशत रकम जमा कराने के लिए भी संकल्प आनंद पर दबाव था. संकल्प आनंद इस मामले में फंसते ही चले गए. डायरेक्टर व अन्य लोगों ने उन्हें अपने जाल में ऐसा फंसा दिया कि वह जिससे भी मिलते, वही उसे अपनी गाय समझकर दूह रहा था.

नोट में लिखा है कि उनसे जो भी मिलता, वही रुपयों की मांग करता, रुपए नहीं देने पर परिणाम भुगतने की धमकी देता था. इसी से तंग आकर संकल्प आनंद ने अपने परिवार सहित मथुरा जनपद के थाना कोसीकलां क्षेत्र में पहुंच अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. पुलिस को मौके से उनकी कार, दो मोबाइल फोन, करीब 65 हजार रुपए की नकदी, बैंक पासबुक आदि मिले. ध्यान रहे कि जिस संस्थान में संकल्प काम कर रहे थे, उसका संचालन केंद्रीय गृह विभाग के अधीन है.
 



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