सीपी सिंह हत्याकांड: एसपी सिंह समेत चारों अभियुक्त बरी
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने यूपी के लखनऊ के चन्द्र पाल सिंह हत्याकाण्ड में आरोपित एसपी सिंह समेत चार अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया है.
सीबीआई अदालत (फाइल फोटो) |
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार द्वितीय ने राजधानी के बहुचर्चित चन्द्र पाल सिंह (सीपी सिंह) हत्याकाण्ड में आरोपित लखनऊ पब्लिक स्कूल के मालिक, प्रबन्धक और पूर्व एमएलसी शिवपाल सिंह , शिवबहादुर सिंह सचान, रणवीर सिंह व ए. वर्मा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है.
अभियोजन के अनुसार चन्द्रपाल सिंह की हत्या 21 सितम्बर 2006 को प्रात: 10 बजे तब कर दी गयी थी जब वह आशियाना थानान्तर्गत एलडीए कालोनी के सेक्टर- आई स्थित अपने विद्यालय लखनऊ पब्लिक स्कूल के गेट के पास खड़े थे. घटना की प्राथमिकी मृतक के भाई वीरेन्द्र सिंह ने दर्ज करायी थी, जिसमें कहा गया था कि वादी के भाई की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी है.
विवेचना के दौरान लखनऊ पब्लिक स्कूल के मालिक-प्रबन्धक तथा पूर्व एमएलसी शिवपाल सिंह (एसपी सिंह), शिव बहादुर सिंह सचान, रणवीर सिंह व आनन्द वर्मा के नाम प्रकाश में आये थे.
विवेचना के दौरान यह भी पाया गया कि घटना के तुरन्त बाद सभी आरोपितों ने फोन से आपस में बातचीत की थी. इसका पता काल डिटेल रिकार्ड से चला। आरोपित रणवीर सिंह व ए.वर्मा ने घटना के दो दिन बाद गाजीपुर थाने से सम्बन्धित एक विचाराधीन मामले में गैंगेस्टर अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया और जेल चले गये.
जेल में रहते हुए दोनों ने हत्या की सुपारी की रकम के लिए शिव बहादुर सिंह सचान से बातचीत की जिसे विवेचक ने रिकार्ड किया था. इस रकम को दूसरे मद में दिखाते हुए एसपी सिंह ने ड्राफ्ट के जरिए शिव बहादुर सिंह सचान को दिया था.
एसपी सिंह की जमानत अर्जी हाईकोर्ट द्वारा मंजूर की गयी. मृतक के पुत्र लोकेश सिंह ने हाईकोर्ट द्वारा एसपी सिंह की मंजूर जमानत को खारिज किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए एसपी सिंह की हाईकोर्ट द्वारा मंजूर की गयी जमानत खारिज कर दी. उसके बाद से ही अन्य सह अभियुक्तों को भी मामले में जमानत नहीं मिली और विचारण के दौरान जेल में ही थे.
इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्तागण काजी सबीह- उर-रहमान, अरुण कुमार मित्तल, गोपाल नारायण मिश्र, वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह व मुकुल जोशी ने बहस की. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय 28 जुलाई तक के लिए सुरक्षित कर लिया था.
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