नोएडा प्राधिकरण ने सील किए सुपरटेक के दोनों टॉवर
नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों ने मंगलवार को सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक के दो निर्माणाधीन आवासीय टॉवरों एपेक्स व सियान को सील कर दिया.
नोएडा प्राधिकरण ने सील किए सुपरटेक के दोनों टॉवर |
मंगलवार दोपहर बाद पहुंची प्राधिकरण की टीम ने दोनों टॉवरों के चारों प्रवेश द्वारों पर ताला लगाकर सील कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल को दोनों टॉवरों को अवैध ठहराते हुए ढहाने का आदेश दिया था.
मंगलवार को प्राधिकरण अधिकारियों ने अदालत के फैसले की प्रति इंटरनेट के जरिए डाउनलोड की. इसके बाद फैसले के गहन अध्ययन व चेयरमैन के साथ हुई बैठक के बाद इन टॉवरों को सील करने का निर्णय लिया गया. प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि अदालत के आदेश की सत्यापित प्रति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
प्राधिकरण के अधिकारियों ने चेयरमैन रमा रमण के साथ मंगलवार को इस मसले पर बैठक की. बैठक में अदालत के आदेश को लेकर मंतण्रा हुई. बैठक में दोनों टॉवरों को सील करने का फैसला किया गया. प्राधिकरण के वर्क सर्किल-8 की टीम सेक्टर-93 ए स्थित एमरल्ड कोर्ट परिसर पहुंची. टीम ने यहां कार्यरत मजूदरों को आधे घंटे में परिसर छोड़ने का निर्देश दिया. इसमें से कुछ मजदूर परिसर में ही रहते हैं. कुछ समय बाद ही मजदूर सामान लेकर बाहर आ गए.
इसके बाद अधिकारियों ने टॉवर परिसर के चारों प्रवेश द्वारों पर ताला लगाकर सील कर दिया. प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक अदालत के फैसले की सत्यापित प्रति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. अदालत ने दोनों टॉवरों को ढहाने के लिए चार माह का वक्त दिया है. मंगलवार को अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद एपेक्स व सियान नाम के दोनों टॉवरों को सील कर दिया गया है.
दोनों टॉवरों में अगले निर्णय तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा. गौरतलब है कि सुपरटेक की ही आवासीय परियोजना एमरल्ड कोर्ट परिसर में कॉमन एरिया के नाम पर छोड़ी गई भूमि पर ही सुपरटेक ने 2009 में इन दोनों टॉवरों का निर्माण कार्य शुरू कराया था. मौजूदा अनुमति के आधार पर इन दोनों टॉवरों का 40 मंजिला बनाया जाना है. अब तक 31 मंजिलें बनकर तैयार हो चुकी हैं. दोनों टॉवरों में 857 फ्लैट हैं. इसमें से 627 फ्लैट बिक चुके हैं. अधिकतर खरीदारों ने कीमत की 95 फीसद रकम अदा कर दी है.
2009 में निर्माण शुरू होने के वक्त सुपरटेक को इन टॉवरों में ग्राउंड फ्लोर के बाद 11 मंजिल बनाने की अनुमति मिली थी. बाद में 24 मंजिल बनाने की अनुमति दे दी गई. 2012 में प्राधिकरण की ओर से एफएआर बढ़ाने के नाम पर 40 मंजिल के निर्माण की अनुमति दे दी गई.
बताया जाता है कि जिस भूमि पर इन टॉवरों का निर्माण कराया जा रहा था वह जगह एमरल्ड कोर्ट के निवासियों के लिए कॉमन एरिया के नाम पर छोड़ी गई थी.
यहां बच्चों के खेलने के लिए मैदान बनाया गया था. इसके लिए एमरल्ड कोर्ट के टॉवर में रहने वालों से अतिरिक्त चार्ज भी वसूला गया था. बाद में यहीं टॉवर बना दिए गए जिससे एमरल्ड कोर्ट के टॉवरों में धूप तक जानी बंद हो गई. इसी वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों टॉवरों को चार माह में ढहाने और फ्लैट खरीदारों को फ्लैट की अदा की गई कीमत 14 फीसद ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए थे.
सबकी आस अब सुप्रीम कोर्ट पर
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद अब आगे क्या होगा यह सभी सोच रहे हैं. सबकी आस अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है. सुपरटेक, प्राधिकरण और फ्लैट खरीदने वाले सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. प्राधिकरण अपने अधिकारियों के बचाव में सुप्रीम कोर्ट जाएगा जबकि सुपरटेक और फ्लैट खरीदार अपने प्रोजेक्ट को बचाने के लिए अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं.
उधर याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर ऊपरी अदालत की मुहर लगाने की लिए अदालत जाने की तैयारी कर रहा है. एमरल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष यूबीएस तेवतिया ने बताया कि अगर बिल्डर व प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो हम भी सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और अपना पक्ष रखेंगे.
मनमानी की बुनियाद पर खड़े हुए दोनों टॉवर
अदालत के आदेश की जद में आए सुपरटेक के दोनों टॉवर मनमानी की बुनियाद पर खड़े किए गए. इस मनमानी में बिल्डर के साथ ही प्राधिकरण के अधिकारी भी शामिल रहे जिनकी निगहबानी में यह सब हुआ.
बताया जाता है कि दोनों टॉवरों की जगह एक टॉवर बनाने पर ही 40 मंजिला बनाने की अनुमति मिली थी लेकिन बिल्डर ने दो अलग-अलग टॉवर खड़े कर दिए. इन्हें एक दिखाने के लिए प्रत्येक मंजिल पर स्काईवॉक के जरिए जोड़कर इन्हें एक दिखाने की कोशिश की गई. हालांकि अदालत ने कॉमन एरिया में टॉवर बनाने पर अपना फैसला सुनाया.
याचिकाकर्ता अमित सक्सेना का आरोप है कि सुपरटेक ने एमरल्ड कोर्ट में ग्राहकों को घर बेचते वक्त जिस जगह को कॉमन एरिया के रूप में दिखाया था, वहां उसने बाद में दो आवासीय टॉवर खड़े कर दिए. अदालत के फैसले से भी साफ हो जाता है कि इसमें प्राधिकरण के अधिकारी भी शामिल रहे. अदालत ने कहा है कि अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए.
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