यूपी सरकार ने दिया चीनी मिलों को अल्टीमेटम

Last Updated 29 Nov 2013 10:05:59 AM IST

उत्तर प्रदेश सरकार और चीनी मिलों के बीच गतिरोध समाप्त होता नजर नहीं आ रहा है.


चीनी

चीनी मिलों ने कर प्रोत्साहनों की पेशकश के बावजूद गन्ना पेराई शुरू करने से इनकार कर दिया है.

सरकार ने दी चेतावनी

वहीं सरकार ने भी मिलों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अगले सपताह तक परिचालन शुरू नहीं किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

चीनी मिलों द्वारा खेतों में खड़े गन्ने की खरीद शुरू नहीं करने को लेकर किसानों के रोष से चिंतित अखिलेश यादव सरकार ने ऊंचे खरीद मूल्य को कम करने के लिए प्रवेश शुल्क और खरीद शुल्क में छूट की घोषणा की है.हालांकि, मिलें इस कर छूट से खुश नहीं हैं.

उनका कहना कि इन प्रोत्साहनों से गन्ने की कीमत में 6 रुपये प्रति क्विंटल की कमी होगी जबकि उन्हें अपने कारखाने चलाने के लिए 55 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी की जरूरत है.

मिलों का कहना है कि वे परिचालन शुरू नहीं करेंगी औरे किसी भी कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं.

उत्तरप्रदेश में 122 में से 99 निजी मिलों ने अक्टूबर से गन्ने की पेराई शुरू करने से इनकार कर दिया था.क्योंकि उनका मानना है कि राज्य सरकार द्वारा 280 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य अव्यावहारिक है. इसके बाद केंद्र सरकार को भी उद्योग को वित्तीय राहत पैकेज देने पर विचार करना पड़ रहा है.

मिल मालिकों के साथ तीन दौर की बातचीत के बाद जिस छूट की घोषणा की गई है उनमें यह कैविएट भी है कि किसानों को गन्ने का भुगतान किए जाने वाले 280 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य पर मोलभाव नहीं हो सकता और परिचालन शुरू नहीं करने पर मिलों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

राज्य के मुख्य सचिव ‘चीनी उद्योग’ राहुल भटनागर ने कहा, ‘मिलों के साथ और बातचीत की गुंजाइश नहीं है. हम निर्देश दे रहे हैं कि मिलें शुरू करें या कार्रवाई का सामना करें.’

हम अटल हैं

इसके बाद इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के महानिदेशक अभिनव वर्मा ने कहा ‘जब तक उचित मूल्य तय नहीं होता और रंगराजन समिति की सिफारिशों स्वीकार नहीं की जाती, हम पेराई शुरू नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा कि मौजूदा बाजार मूल्य 280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीदने के लिए व्यावहारिक नहीं है.

उन्होंने कहा गन्ने की कीमत तय करने की राजनीति से बाहर निकलें.

नयी दिल्ली में खाद्य मंत्री केवी थामस ने कहा कि केंद्र वित्तीय पैकेज पर काम कर रहा है जिसमें मिलों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज शामिल है ताकि गतिरोध समाप्त हो.

उन्होंने कहा कि इस गतिरोध से चीनी उत्पादन के साथ साथ गेहूं की बुवाई भी प्रभावित होने की आशंका है.

थॉमस ने सभी पक्षों से मामले को यथाशीघ्र सुलझाने की अपील की.

भटनागर ने कहा कि सरकार गन्ना खरीद कर में 2 रुपये प्रति क्विंटल की छूट दे ही है जिससे मिलों को 160 करोड़ रुपये का फायदा होगा. इसी तरह प्रवेश कर शुल्क में छूट से उन्हें 219 करोड़ रुपये की बचत होगी. अगर सभी फायदों को मिलाया जाए तो मिलों को 20 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा होगा.

राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि पश्चिमी जिलों में चीनी मिलों ने चार दिसंबर और बाकी मिलों ने सात दिसंबर तक परिचालन शुरू नहीं किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

मुजफ्फरनगर में मिल शुरू नहीं करने के लिए तीन मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. उधर गन्ना नहीं खरीदे जाने से यूपी में कई जगह किसानों ने प्रदर्शन किया.

 



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