राजस्थान की मुख्यमंत्री ने बाड़मेर, जैसलमेर एवं जोधपुर जाकर शहीदों को श्रद्घांजलि दी
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सोमवार को बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में जाकर शहीदों को श्रद्घांजलि अर्पित की.
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे (फाइल फोटो) |
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सोमवार को बाड़मेर जिले के शहर गांव, जैसलमेर के लोंगासर गांव (भोपाल सिंह की ढाणी) एवं जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के खिरजाखास गांव में जाकर शहीदों को श्रद्घांजलि अर्पित की तथा उनके परिजनों को सांत्वना देते हुए पूरी मदद देने का विास दिलाया.
मुख्यमंत्री ने बाड़मेर जिले के शहर गांव जाकर जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए प्रेमसिंह की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए. उन्होंने शहीद के पिता कुम्भाराम, माता पेम्पोदेवी, पत्नी रैना एवं परिजनों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि शहीद प्रेमसिंह ने अपने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है और उन पर पूरे देश को गर्व है.
उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर शहीद प्रेमसिंह के स्मारक के लिए जमीन उपलब्ध कराने के संबंध में जिला कलक्टर सुधीर शर्मा को कार्यवाही करने के निर्देश दिए.
राजे ने जैसलमेर जिले की भणियाणा तहसील के लोंगासर गांव (भोपालसिंह की ढाणी) जाकर शहीद नरपत सिंह को श्रद्घांजलि दी. उन्होंने शहीद के वृद्घ एवं अस्वस्थ पिता सवाई सिंह से कुशलक्षेम पूछी और उन्हें सम्बल देते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में हम सब आपके साथ हैं.
उन्होंने शहीद की माता उदय कंवर, पत्नी भंवर कंवर व परिजनों को सांत्वना दी. उन्होंने कहा कि शहीद की माता धन्य हैं, जिनकी कोख से देश के लिए शहादत देने वाले नरपतसिंह जैसे सपूत पैदा हुए.
मुख्यमंत्री ने जब शहीद के आठ वर्षीय पुत्र फूलसिंह से पूछा कि वह बड़ा होकर क्या बनेगा तो उसने कहा कि वह भी सेना में भर्ती होकर अपने देश की रक्षा करेगा. इस पर मुख्यमंत्री ने शहीद की पत्नी से कहा कि वह अपने पुत्र एवं पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दिलाएं और उनकी अच्छी परवरिश करें.
जिला कलेक्टर मातादीन शर्मा ने बताया कि शहीद की धर्मपत्नी को सहायता के रूप में 20 लाख रूपये का चैक प्रदान कर दिया गया है. नियमानुसार अन्य सहायता पैकेज के लिए भी आवेदन ले लिया गया है.
राजे जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के खिरजाखास गांव में शहीद प्रभूसिंह के पैतृक निवास पर गई तथा शहीद सपूत की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्घासुमन अर्पित करने के बाद उनके पिता चन्द्रसिंह, माता राजू कंवर, भाइयों एवं परिजनों को ढाढस बंधाया. शहीद की पत्नी ओम कंवर अस्वस्थ हैं.
उन्होंने परिजनों से कहा कि शहीद प्रभूसिंह के परिवार के और भी कई सदस्य फौज में हैं तथा पूर्व में भी इनकी पीढ़ियां फौज में रही हैं. देश के लिए जो भी शहीद हुआ है वह बहादुरी से गया है और इन्हीं लोगों के बल पर हमारा कल है.
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