मानवीय दृष्टिकोण से हो कर्मियों के तबादले हों : अशोक गहलोत

Last Updated 13 Oct 2016 10:41:44 AM IST

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनैतिक आधार पर राज्यकर्मिकों के हो रहे तबादलों की निंदा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि स्थानान्तरण नीति बने.


राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

गहलोत ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि तबादलों को लेकर हर सरकार में तबादला उद्योग के आरोप लगते रहे हैं. अब समय आ गया है कि तबादलों की कोई नीति बननी चाहिए, जिससे कम से कम तबादले हों. किसी के परिवार में कोई समस्या है या फिर स्वास्थ्य कारण हो, ताकि शिकायतें बंद हों.
     
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार संघ से संचालित हो रही है, इसलिए संघ से जुडे लोगों को सामने रखकर सही लोगों को भी बाहर स्थानान्तरित किया जा रहा है, जबकि कांग्रेस सरकार कभी विचारधारा के आधार पर ऐसा नहीं करती. कांग्रेस शासन में तो पार्टी के कार्यकर्ताओं से शिकायतें सुननी पडती हैं, मगर हमने हमेशा मानवीय आधार को सामने रखा.
    
गहलोत ने संघ द्वारा गणवेश बदलने जाने पर कहा कि सत्ता में रहने के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं. समय के साथ उचित लगने पर ये अपनी विचारधारा भी बदलेंगे. आज दिखाई देता है कि प्रधानमंत्री जो टिप्पणियां करते हैं वो संघ को पसंद नहीं आती. ये सब इनकी मिलीभगत है. इनकी कथनी व करनी में बहुत अन्तर है. जागरूक नागरिकों को चाहिए कि वो इनकी चालों को समझें जिससे वे धोखा नहीं खा सके.
    
उन्होंने 11 माह गुजर जाने के बावजूद भाजपा कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाने के सवाल पर कहा कि यह मुख्यमंत्री और उनके पार्टी अध्यक्ष दोनों को रास आ रहा है. ये उनकी पार्टी का अन्दरूनी मामला है.
    
गहलोत ने आरोप लगाया कि जिला एवं ब्लाक स्तर पर इतना ढीला पुलिस प्रशासन उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. जिला प्रशासन हो या पुलिस प्रशासन बिना पैसे दिये कहीं कोई काम नहीं होता. कांग्रेस के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. 

गहलोत ने आरोप लगाया कि जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सुनवाई भी नहीं करते, इतने घबराये हुए हैं कि अगर सुनवाई कर ली तो उन्हें खुद के तबादले का डर सताता है. अधिकारी वर्ग भयग्रस्त है. 
   
 पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के खिलाफ जिस प्रकार बदले की भावना से कार्यवाही शुरू की उससे नौकरशाही इतनी सचेत हो गयी कि आज हम जो फैसला करेंगे तो हो सकता है दो साल बाद हमारे खिलाफ भी कोई जांच हो जायेगी, हमें भी जेल जाना पड सकता है. राजस्थान में ऐसे हालात बन गये हैं और ये माहौल इनको ले डूबेगा.

जयपुर मेट्रो के दूसरे चरण को लेकर किये गये प्रश्न पर गहलोत ने कहा कि सीतापुरा से अम्बाबाडी तक 22 किमी का जो मेट्रो फेज आना चाहिए था, उसको रोक दिया गया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इसी प्रकार रिफाइनरी पूरे प्रदेश के भले के लिए थी, उसे रोक दिया, आदिवासी क्षेत्र की डूंगरपुर-बांसवाडा-रतलाम रेलवे लाइन बिछनी थी, उसको अधूरा छोड दिया गया, परबन सिंचाई योजना से झालावाड-बारां-कोटा को फायदा होना था, उसको शुरू नहीं किया. इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री का पूर्वाग्रह है.
    
उन्होंने कहा कि सरकार बनते ही कांग्रेस सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया की अध्यक्षता में समिति बनाई गयी थी, अब वो तीन साल से समीक्षा ही कर रहे हैं.
    
पाठ्यक्रमों में छेडछाड के सवाल पर गहलोत ने कहा कि फासीवादी प्रवृत्ति की यह सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे व्यक्तित्व का चरित्र हनन करने तक में संकोच नहीं करती है...इतिहास को तोडा-मरोडा जा रहा है, ये इनकी सोच में है. यही सोच इनको ले डूबेगी.
    
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की रहनुमाई में पंडित नेहरू, मौलाना आजाद, सरदार पटेल, डाक्टर अम्बेडकर जैसे नेताओं ने मिलकर जो संघर्ष किया, बलिदान दिये, उस इतिहास को ये लोग समाप्त करना चाहते हैं. ये चाहते हैं कि नई पीढी को यह मालूम नहीं पडेगा, लेकिन नई पीढी बहुत होशियार है, आईटी का जमाना है, धीरे-धीरे उनके समझ में आयेगी तो उनको वास्तविकता पता चल जायेगी.

भाषा


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