जलसंकट से उबारने में जुटा राजस्थान

Last Updated 26 Jun 2016 01:01:52 PM IST

राजस्थान नदी बेसिन एवं जल संसाधन योजना प्राधिकरण, मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान के तहत जनसहयोग और ग्रामीणों की सहभागिता से प्रदेश राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने के लिए त्वरित कदम उठा रहा है.


(फाइल फोटो)
प्राधिकरण द्वारा वैज्ञानिक तकनीक, जल संरक्षण से जुड़े पांच विभागों को एक छत के नीचे लाने और कार्य की निगरानी ऑनलाइन करने की वजह से ‘गड़बड़ी’ की संभावना समाप्त हो गयी है.
 
मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान के प्रथम चरण में प्राधिकरण ने प्रदेश के 295 खंडों के चुनिंदा गांवों के एक खंड से दस से बारह गावों को चुनकर काम शुरू किया था और अब यह कार्य समाप्ति की ओर है. इन स्थानों पर जलसंरक्षण का परिणाम आने वाले महीनों में देखने का मिलेगा.
 
इसके बाद इन स्थानों का नाम पानी की कमी के लिए नहीं, बल्कि पानी की आत्मनिर्भरता वाले स्थान के रूप में सामने आयेगा.
 
राजस्थान संभवत: देश का पहला राज्य है जहां पानी की कमी को दूर करने के वास्ते मृत प्राकृतिक संसाधनो को पुनजीर्वित करने के लिए उपग्रह से नक्शे तैयार कराए गए. नक्शे कागज पर नहीं, बल्कि पतले कपड़े पर बनाए गए.
 
 
गांवों के नाम अंग्रेजी की जगह हिंदी में लिखे गए हैं. पानी के प्रस्तावित प्राकृतिक स्त्रोत के स्थान और मार्ग को आर्कषक रंगों से दर्शाया गया है. कार्य की निगरानी के लिए मोबाइल एप बनाया गया है. उससे फोटो खींचकर भेजे जा रहे हैं और गूगल की मदद से हर काम पर करीबी नजर रखी जा रही है.
 
प्राधिकरण के अध्यक्ष श्रीराम वेदिरे ने कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान का अन्तिम चरण आगामी तीन साल में पूरा होने पर प्रदेश को जलसंकट से निजात मिल जायेगी.
 
उन्होंने कहा कि अभियान के प्रथम चरण में प्रदेश के 295 खंडों का चयन कर हर खंड से दस से बारह गांवों का चयन कर गत 27 जनवरी से कार्य आरंभ किया गया. अभियान का प्रथम चरण 30 जून को समाप्त हो रहा है. जुलाई के प्रथम सप्ताह में मानसून सक्रिय होने के साथ ही प्रथम चरण के काम का परिणाम सामने आने लगेगा.  



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