श्रीगंगानगर जिले में जन्म के दो घंटो बाद ही मासूम को झाड़ियों में छोड़ा

Last Updated 28 May 2016 11:12:04 AM IST

श्रीगंगानगर जिले में प्रतापपुरा की रोही में एक नवजात बच्ची को गांव के लोगों ने बरामद किया है. पुलिस ने मासूम को प्राथमिक उपचार के बाद जिला चिकित्सालय की नर्सरी में भर्ती करवाया है.


फाइल फोटो

अज्ञात प्रसूता पर मासूम की पैदाइश छुपाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.

देश के प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात कहते हुए बेटियों के प्रति लोगो की मानसिकता बदलने का प्रयास कर रहे है, वहीँ हमारा समाज अब भी बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता को बदलने को तैयार नहीं है यहीं वजह है की उन्हें मरने के लिए छोड़ा जा रहा है.

यह ताजा मामला श्रीगंगानगर जिले का है जहाँ जन्म के दो घंटो बाद ही मासूम को मरने के लिए झाड़ियों में छोड़ दिया. मगर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. श्रीगंगानगर के जिला अस्प्ताल की शिशु वार्ड नर्सरी में भर्ती दो दिन की ये बेटी अब यही कह रही है की हे माँ मेरा क्या कसूर था जो मुझे मरने के लिए छोड़ दिया.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गांव के बाहर बैठे गडरिया लोहार परिवार ने खेतों के खाळे में सड़क किनारे एक नवजात बच्ची की रोने की आवाज सुनी. उन्होंने इस सबंध में गांव में सूचना दी. ग्रामीणों ने नवजात को सादुलशहर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया.

एक दिन की मासूम नवजात शिशु नर्सरी में भर्ती की गई है. उसका स्वास्थ्य सही है फिर भी विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया है.

मां-बाप ने तो उस मासूम बच्ची मरने के लिए छोड़ दिया, लेकिन जिला चिकित्सालय की शिशु नर्सरी के नर्सिंग स्टाफ पूजा और राकेश गोदारा इस नवजात बच्ची की देखभाल मेहमान की तरह कर रहे हैं.

नवजात का नाम किसी ने अजनबी रखा है तो किसी ने लवली रख दिया है. इस बच्ची को जब भी भूख लगती है तो पूजा अपने सीने से लगाकर दूध पिलाती है.

वहीँ प्रसूता प्रिया एक गोद में खुद की नवजात तो दूसरी गोद में अजनबी को लेकर सही मायने में मां का फर्ज निभा रही है. भले ही अजनबी को खुद के माता-पिता ने बेसहारा छोड़ दिया हो लेकिन जिला अस्पताल में उसे इतने अपने मिल गए हैं कि वह अकेली नहीं.

यह देख एकबारगी सुकून भी होता है. वहीँ नर्स पूजा कहती है की सरकार ने बच्चियों के लिए बहुत योजनाएं शुरू कर रखी है कोई माँ बेटी को पाल नहीं सकती तो उसे सरकार को दे सकती है. माँ की ईएसआई भी मजबूरी नहीं होनी चाहिए की पहले नो माह कोख में रखे और फिर मरने के लिए झाड़ियों में छोड़ दे. वहीँ अस्प्ताल स्टाफ बच्ची का स्वास्थ्य सही बता रहे है.

पुलिस दल ने मौका निरीक्षण करने के बाद गांव प्रतापपुरा और आस पास की गर्भवती महिलाओं की पड़ताल आरंभ की है. साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यकर्ताओं से इस क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं की जानकारी मांगी है.



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