कुपोषित बच्चों के लिये वरदान बनी पोषण योजना
राजस्थान में कुपोषण की रोककथाम के लिये शुरू की गयी पोषण योजना कुपोषित शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिये वरदान साबित हुयी है.
फाइल फोटो |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक नवीन जैन ने मंगलवार को जयपुर में कुपोषण के रोकथाम के लिये एक्शन अगेंन्स्ट हंगर इंटरनेशनल की ओर से आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी देते हुये बताया कि गत वर्ष 15 दिसम्बर से प्रदेश के 12 जिलों में शुरू की गयी इस योजना के सार्थक परिणाम आये है.
उन्होंने कहा कि क्षयरोग की रोकथाम के लिये चलायी गयी डीओटी की तरह कुपोषण को रोकने के लिये पोषण योजना के तहत आंगनबाडी में कार्यरत आशाओं, एएनएम और अभिभावकों को जोडा गया है जिसके कारण कुपोषित बच्चो को स्वास्थ्यवर्धक भोजन देने के साथ ही अभिभावकों को मानदेय दिया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि इस योजना के प्रथम चरण में राजस्थान के 13 जिलों के पांच वर्ष तक के कुपोषित दस हजार बच्चों को जोडा गया है जिनकी नियमित निगरानी की जा रही है. उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने इस योजना के तहत 10 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था लेकिन स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से साढे सात करोड़ रूपये का योगदान देने के कारण राज्य सरकार का मात्र ढाई करोड़ रूपया ही व्यय हुआ है.
उन्होंने बताया कि कुपोषण की दृष्टि से राजस्थान के अत्यंत प्रभावित जिले बांसवाडा, बाडमेर, बूंदी, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालोर, करौली, रामसंद और उदयपुर, बांरा, प्रतापगढ और सिरोही जिलें है जहां यह समस्या सर्वाझरिक है.
उन्होंने बताया कि कुपोषण मुख्यतया विटामीन, आयरन की कमी के कारण होता है और पोषण योजना के तहत आंगनबाडी, मिड डे मिल जैसी योजनाओं के माघ्यम से बच्चों को पोषण आहार दिया जा रहा है.
जैन ने बताया कि कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिये सरकारी प्रयासों के साथ सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है.
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