शल्य क्रिया में काम आने वाले उपकरणों का आविष्कार करने में इतिहास बनाने का दावा

Last Updated 11 Feb 2016 03:04:29 PM IST

त्रिभुवन एस रामन ने चिकित्सा विज्ञान की शल्य क्रिया क्षेत्र में सर्वाधिक नौ आविष्कार करने और इनमें से चार का पेटेंट कराने का नया इतिहास रचा है.


फाइल फोटो

सामान्य परिवार में जन्में त्रिभुवन एस रामन ने कुछ अनूठा करने की चाह में चिकित्सा विज्ञान की शल्य क्रिया क्षेत्र में सर्वाधिक नौ आविष्कार करने और इनमें से चार का पेटेंट कराने का नया इतिहास रचा है.
        
तैंतालीस वर्षीय रामन ने गुरूवार को साक्षात्कार में दावा किया कि चिकित्सा विज्ञान की शल्य क्रिया क्षेत्र में देश में इससे पहले किसी भी वैज्ञानिक ने इतने आविष्कार नहीं किये हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा  किये गये आविष्कारों के प्रयोग से चिकित्सा विज्ञान के क्षेा में क्रांतिकारी बदलाव के साथ साथ ईलाज के क्षेा में क्रांति आ सकती हैं.
        
चिकित्सा विज्ञान में स्नातक की पढाई कर चुके रामन गत 15 वर्षो से आविष्कार कर रहे हैं. इनमें रोगी के शरीर में ईलाज के दौरन रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का नहीं बनने देने के  लिये ‘इन्ट्रालॉक इन्टावीनस कैनुला’  अस्पताल में भर्ती मरीजों को नाक द्वारा राइल्स टयूब से तरल भोजन देने के लिये ‘राइल्स टयूब प्रोटेक्शन बैल्ट’ ‘ओरोफैरीजियंल एयर वे’ तथा ‘इम्प्रव्ड इन्ट्रावीनस लूड एण्ड ब्लड इनफयुजन सैट’ प्रमुख है तथा इन सभी आविष्कारों का पेटेंट भी हो चुका है.
        
उन्होंने बताया  कि इन आविष्कारों के  लिये वैज्ञानिक एवं औधोगिक अनुसंधान भारत सरकार ने 2009 और 2011 में दस दस लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी दी है. इसके अलावा केद्रीय वाणिज्य एवं उधोग मंत्रालय द्वारा पेटेंट के बारे में बच्चों को जानकारी देने के लिये उन्होंने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मघ्यप्रदेश और राजस्थान के कई शहरों में स्कूली बच्चों को प्रेरित भी किया है.
    
उन्होंने बताया कि इसके अलावा मीर्जड वाल्यूम फलूड इनफयूजन सैट संवर्घित, ट्रेकियोस्टामी टयूब  विद कफ कलेक्शन डिवाइस, आटोलोंक कैथेटर डिवाइस एवं स्मॉक इम्फयरिंग मशीन एण्ड मेथम पर भी आविष्कार  किये हैं जिनका पेटेंट कराने की प्रकिया चल रही है. उन्होंने बताया कि रोगी की रक्त वाहिनिकाओं में रक्त का थक्का नहीं बनने देने के लिये बनाये गये उपकरण का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नयी दिल्ली में क्लीनिकल परीक्षण भी किया जा चुका है लेकिन आर्थिक संसाधनों के अभाव में इसका उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

चिकत्सा विज्ञान की शल्य क्रिया क्षेा में किये गये इन आविष्कारों के लिये उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं.

साधरण खेती किसानी परिवार में जन्में त्रिभुवन एस रामन ने दावा किया चिकित्सा क्षेत्र में किये जा रहे इन आविष्कारों से मरीजों के इलाज में क्रांति आ सकती है और दूर दराज के गावों में बसने वाले मरीजों को चिकित्सकों के चक्कर काटने से भी मुक्ति मिल सकती है.
      
उन्होंने बताया कि इन आविष्कारों के अलावा कार्बन पार्टिकल को डिजाल्व करने के लिये भी एक डिवाइस तैयार कर रहे है. जिसके उपयोग से चीमिनयों और वाहनों से  निकलने वाले धुएं को नियंत्रित  किया जा सकता है।

रामन आविष्कारों के अतिरिक्त लेखन के कार्य से भी जुडे रहे है और उन्होंने तीन किताबें भी लिखी है जिनमें देश का निर्माण फिर से महाकाव्य, शिशिर तुम कब आओगे लघु कथ संग्रह एवं मेरी कविताएं शामिल है.



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