पेट की खातिर रोज नदी में तैरकर जाते हैं कमाने के लिए

Last Updated 10 Feb 2016 01:40:16 PM IST

चितौडगढ जिले के दो गांव ऐसे है जहां के मजदूर लोग अपने व अपने परिवार के लिए दो जुन की रोटी की खातिर सुबह व शाम को रोजाना कलकल बहती नदी में से होकर गुजरते है.


फाइल फोटो

जी हां हम बात कर रहे है चितौड़गढ़ के भोईखेडा व मानपुरा गांव के बीच बहने वाली गंभीरी नदी की जहां जिसके दोनो तटो पर ये गांव बसते है. और पास में ही लोगों का श्रद्धास्थल संगम स्थान शिव मंदिर है जहां श्रद्धालु दर्शन करने आते है. भोईखेडा के लोग प्रतिदिन सुबह अपना टिफीन लेकर

बहते हुए पानी में गुजरते है. इस बहते हुए पानी में युवा ही नहीं बच्चे, बुढे, जवान और महिलाएं भी शामिल है.

पानी में गुजरते वक्त उन्हें अपनी जान पर बन आने का खतरा हर वक्त नजर आता है. इन लोगो के पास नदी के उस पार से इस पार आने के लिए आस पास किसी भी तरह का कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग नहीं है.

मजदूर लोगो को सडक मार्ग से आने के लिए पांच गुना दूरी तय करनी पडती है जो कि शहर के बीच होकर गुजरती है. ये लोग समय और दूरी बचाने के चक्कर में रोजाना इस तरह का खतरा मोल लेते है.

ग्रामीणों की मांग है की यहां कोई एनीकट या पुलिया का निर्माण कराया जाये या नदी के दोनों तट पर नाव और गोताखोरों की व्यवस्था हो. वहीं मानपुरा के श्रद्धालु लोग पुरे वर्षभर संगम स्थल शिव मंदिर दर्शन के लिए जाते है और सावन माह में तो पुरे महीने पर इस मार्ग पर श्रद्धालुओ की आना-जाना लगा रहता है.

नदी के दोनो तटों पर किसी भी तरह का कोई चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगा हुआ है. और न ही कोई नाव और गोताखोरो की व्यवस्था है. बारिश का मौसम शुरू होते हुए ग्रामीणों द्वारा प्रशासन द्वारा सम्बंधित अधिकारियों व प्रशासन को चेताया जाता है किंतु उनकी कार्यवाही केवल आश्वासन तक सिमट कर रह जाती है.



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