अब बिना इंजन में बैठे लोको पायलेट्स तैयार होंगे
जोधपुर रेलवे में भर्ती होने वाले लोको पायलेट्स अब इंजन में बैठे बगैर इसके चलाने का पूरा प्रशिक्षण हासिल कर सकेंगे.
फाइल फोटो |
ट्रेनों के लोको पायलट को उन्नत तकनीक के साथ ट्रेनिंग देने के लिए जोधपुर की भगत की कोठी डीजल शेड में अपनी तरह का पहला और भारतीय रेलवे का दूसरा सिम्युलेटर लगाया गया है. ऐसा संभव हो पाएगा लोको सिम्यूलेटर की बदौलत.
जोधपुर के भगत की कोठी डीजल शेड में देश में उन्नत तकनीक का पहला सिम्युलेटर स्थापित किया गया है. इस सिम्युलेटर में बैठने वाले लोको पायलेट्स को हूबहू पटरियों पर दौड़ने वाले रेल इंजन का आभास होगा.
अब तक ध्वनि की रफ्तार से अधिक तेजी से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों के पायलेट्स व अंतरिक्ष यात्रियों को इस तरह के सिम्यूलेटर से प्रशिक्षण दिया जाता रहा है. लेकिन अब रेलवे के लोको पायलेट्स को भी इस तरह की सुविधा मिल सकेगी.
रेलवे के पास हुबली एक सिम्युलेटर है, लेकिन वह पुरानी तकनीक पर आधारित है. इस कारण उसका लाभ नहीं मिल पा रहा था. देश में इस तरह का बारह स्थान पर सिम्युलेटर स्थापित किए जाएंगे. आस्ट्रेलिया की एक कंपनी की तरफ से स्थापित इस सिम्युलेटर की लागत करीब आठ करोड़ रुपए आई है.
कैसे काम करता है ये लोको सिम्युलेटर
- इसमें रेल इंजन के कैबिन की वास्तविक प्रतिकृति होती है. अंदर बैठते ही इंजन का आभास होता है.
- इसमें लोको पायलेट्स के सामने स्क्रीन पर रेल पटरी नजर आती है. जैसे रेल को चलाना शुरू करते है. इसमें क्रासिंग, रेलवे स्टेशन इत्यादि आते रहते है.
- पायलेट्स को यह अहसास होता है कि वह इनसे होकर निकल रहा है. इस दौरान वह अपने इंजन की गति को नियंत्रित करता है.
- सिम्यूलेटर में अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक इंजन को चलाया जा सकता है.
- मौसम में बदलाव का भी अहसास होता है. कई बार कोहरा आ जाता है तो कभी बारिश शुरू हो जाती है. इसके अनुरूप दृश्यता प्रभावित होती है. इसे देख लोको पायलेट अपने इंजन की रफ्तार को नियंत्रित कर सकता है.
- सिम्युलेटर में बैठे लोको पायलेट की प्रत्येक गतिविधि पर नियंत्रण कक्ष में बैठ विशेषज्ञ नजर रखते है. बाद में उसकी गलतियों को निकाल उसे समझाया जाता है.
- सिम्यूलेटर में अभी अजमेर मंडल के मंडावरिया से सोजत रोड तक का ट्रैक अपलोड किया गया है.
- तीन सौ किलोमीटर लम्बे इस रास्ते में आने वाले सभी तरह के अवरोध सिम्यूलेटर चलाने के दौरान सामने आते है.
- सिम्यूलेटर में प्रशिक्षण हासिल कर लोको पायलेट्स आसानी से इंजन का चला सकेंगे। इससे समय की बचत होगी. साथ ही प्रशिक्षण के दौरान होने वाले हादसे नगण्य हो जाएंगे.
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