न्यायालय ने कलेक्टर की कार कुर्की के दिए आदेश
जिस किसान को 36 साल पहले 38 हजार रूपये देने थे आज उसी किसान को न्यायलय के आदेश पर डेढ़ लाख रूपये देने होंगे.
फाइल फोटो |
नौकरशाहों की हठधर्मिता का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की जिस किसान को 36 साल पहले उसकी फसल नष्ट होने के एवज में 38 हजार रूपये देने थे आज उसी किसान को न्यायलय के आदेश पर डेढ़ लाख रूपये देने होंगे.
जी हां मामला राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले का है जहाँ 36 पहले सीलिंग में अधिग्रहित की गयी कृषि भूमि में फसल का मुआवजा नही देने पर अदालत ने जिला कलेक्टर की कार को कुर्क करने के आदेश दिए है.
श्रीगंगानगर की अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या एक ने फैंसला सुनाते हुए बालाराजपुरा गांव के किसान नत्थूराम को राहत दी है. दरअसल किसान नत्थूराम की 13 बीघा भूमि को सीलिंग के कारण राज्य सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था.
इस पर परिवादी काश्तकार नत्थूराम ने सिविल वाद दायर कर उसकी इस भूमि पर खड़ी फसल का 115 रूपये प्रति किंवटल के हिसाब से क्लेम माँगा था. जिसमे 2005 में अदालत राज्य सरकार के जरिये श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर को आदेश दिया की वह परिवादी किसान को मूल राशि 38 हजार 482 रूपये 10 अक्टूबर 1981 से 19 दिसम्बर 2003 तक ढाई रूपये प्रति सैंकड़ा प्रति वर्ष की दर से ब्याज दिया जाए.
लेकिन तत्कालीन जिला कलेक्टर ने न्यायलय के आदेश को दरकिनार करते हुए भुगतान नही किया. उधर आदेश की पालन नहीं होने पर किसान ने 8 अगस्त 2006 को फिर एक बार याचिका पेश की. जिसमे न्यायाधीश ने फैंसला सुनाया है की मूल राशि 38 हजार 482 रूपये और ब्याज राशि एक लाख 21 हजार 796 रूपये का भुगतान जल्दी किया जाये नही तो जिला कलेक्टर की कार को कुर्क करके किसान को राशि का भुगतान किया जायेगा.
न्यायालय के आदेश के बाद जिला कलेक्टर मामले को देखने की बात कह रहे है वहीँ किसान को राशि नही देने पर सरकारी वकील कार को कुर्क करके नीलाली से मिलने वाली रकम किसान को दिलाने की बात कह रहे है.
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