खनन क्षेत्र में राजस्थान का दबदबा, खनन आधारित उद्योगों के ज्यादा अवसर

Last Updated 21 Nov 2015 02:24:01 PM IST

राजस्थान में खनिज की उपलब्धता को देखते हुए खनिज आधारित नए उद्योगों की स्थापना के काफी अवसर हैं.


फाइल फोटो

यही वजह है कि राज्य सरकार प्रदेश में खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने पर ध्यान दे रही हैं.
  
राजस्थान खान एवं पेट्रोलियम विभाग सूत्रों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न खनिजों को कच्चे रूप में अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है, इसलिए राज्य खनिजों के मूल्य संवर्धन के साथ-साथ ग्रामीण एवं पिछडे वर्ग के रोजगार के अवसरों से वंचित हैं.
  
जयपुर में शुक्रवार को सम्पन्न राजस्थान रिसज्रेट सम्मेलन में भाग लेने आये वेंदाता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान हाइड्रोकार्बन, जस्ता एवं सीसा के अतिरिक्त राक फास्फेट, पोटाश, लिग्नाइट, सोने और श्रेष्ठ गुणवता वाले मार्बल स्टोन के अच्छे भंडार हैं. राज्य की जियोलांजी अभूतपूर्व हैं.
  
अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि खान और भूगर्भ विज्ञान विभाग ने राज्य के खनन के प्रत्येक पट्टा धारक के लिए पर्यावरण के अनुकूल खनन योजना तैयार करना अनिवार्य कर दिया हैं। पर्यावरण के अनुकूल यह खनन योजना कानून के तहत आवश्यक खनन योजना से अलग और अतिरिक्त होगी. पर्यावरण के अनुकूल खनन योजना का प्रमुख उद्देश्य सतत खनन सुनिश्चित करना हैं.
  
उन्होंने बताया कि प्रदेश में भारत के सीसा-जस्ता का लगभग संपूर्ण उत्पादन, वोलैस्टोनाइट केल्साइट, जिप्ससम सेलेनाइट का 100 प्रतिशत उत्पादन, चांदी का 99 प्रतिशत संगमर्मर का 95 प्रतिशत, गेरू एवं सैंडस्टोन का 92 प्रतिशत, बांल क्ले का 89 प्रतिशत और भारत के राक फास्फेट का 90 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में होता हैं.

विभाग के अनुसार भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 11 प्रतिशत क्षेत्र के साथ राजस्थान देश का सबसे बडा राज्य हैं. वर्तमान में, खनन पट्टों (लाइसेंस के तहत) लगभग 84,631 हैक्टेयर क्षेत्र हैं, जो राज्य के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 0.54 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 तक राज्य द्वारा खनिज के 138 खनन पट्टे, गौण खनिज के 15,136 खनन पट्टे, 74 प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस और 18,249 पत्थर निकालने के लाइसेंस दिये गए हैं.

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2014-15 में राज्य को खनिज क्षेत्र से 3,635 करोड़ रूपए और पेट्रोलियम क्षेत्र से 4,845 करोड़ रूपए प्राप्त हुए हैं. राज्य के राजस्व में सीसा, जस्ता, तांबा चांदी (35 प्रतिशत), चूना पत्थर (12 प्रतिशत), मार्बल, ग्रेनाइट (10 प्रतिशत) जैसे कुछ प्रमुख खनिज अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. खनन क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्रमश आठ लाख और 25 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता हैं.
  
उन्होंने बताया कि राज्य में बडे खनिज के लगभग 3,403 खनन पट्टे, 11,851 गौण खनन पट्टे और 18,249 क्वारी लाइसेंस दिये गये हैं. पश्चिमी राजस्थान में हाइड्रोकार्बन के बडे भंडार मिल चुके है और बाड़मेर में 73 लाख बैरल (90 करोड़ टन) भंडार का अनुमान हैं. राजस्थान में वर्ष 2009 में कच्चे तेल का उत्पादन शुरू हुआ था.
  
सूत्रों के अनुसार जैसलमेर बेसिन के मनोहर टीबा, तनोट, डांडेवाला एवं शाहगढ में 2.5-3.0 करोड़ घनमीटर प्राकृतिक गैस भंडार की खोज की गई हैं. इसके अतिरिक्त बीकानेर-नागौर बेसिन में 2.5 करोड़ टन हैवी आयल एवं 53 मीट्रिक टन बिटुमिन की खोज भी की गई हैं.



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