राजस्थान में भूअभिलेखों में जल्दी दिखेगा ई-धरती सॉफ्टवेयर का कमाल

Last Updated 25 Sep 2015 11:44:18 AM IST

राजस्थान में भूअभिलेखों के प्रबंधन के क्षेत्र में डिजीटलाइजेशन के बाद अब जल्दी ही ई-धरती सॉफ्टवेयर का कमाल दिखने लगेगा.


भूअभिलेखों में ई-धरती सॉफ्टवेयर का कमाल (फाइल फोटो)

सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) द्वारा तैयार किए गए इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से राज्यभर के एक ही खाते में शामिल सभी खातेदारों के नामों का पृथक्कीकरण (सेग्रिगेशन) किया जायेगा. इसमें हरेक खातेदार का पृथक व संपूर्ण विवरण होगा तथा उसके हिस्से की भूमि भी स्पष्ट दर्शायी जायेगी.

इस समय उपलब्ध भूअभिलेखों के खातों में सभी के नाम शामिल होने के कारण खाते से संबद्ध लोगों को सीधे ही वैयक्तिक सूचना पाना आसान नहीं था. पुरानी पद्धति की वजह से कम्प्यूटर एक खाते में शामिल सभी की जानकारी पृथक-पृथक दे पाने की स्थिति में नहीं था.

ई-धरती में यह सुविधा है कि वह जमाबंदी में दर्ज सभी खातों के खातेदारों का पृथक-पृथक इन्द्राज कर हर खाते में शामिल भूमिधारकों की व्यक्तिश: पूर्ण सूचना भी उपलब्ध करा देता है. इससें भूमि की स्थिति भी स्पष्ट रहती है जो कि कम्यूटर द्वारा गणितीय आधार पर निकाली जाती है.

इससे हर खाते में शामिल हिस्सेदारों एवं उनके हिस्से की भूमि का विवरण पृथक-पृथक उपलब्ध होगा. यह समस्त कार्य ऑनलाइन हो जाने पर सभी की व्यक्तिगत सूचनाएं उपलब्ध होंगी जिससे इन तक सीधी पहुंच स्थापित करने की जरूरत पडऩे पर बेहतरी के साथ ऑनलाइन उपयोग हो सकेगा. इससे हरेक के खाते की राजस्व से संबंधित स्थिति भी स्पष्ट होगी.

इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से राजस्थान के हरेक खातेदार का ऑनलाईन डाटा हमेशा उपलब्ध रहेगा.

ई-धरती पर यह संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर ई-धरती को पंजीयन एवं मुद्रांक विभागीय ऑनलाइन डाटा से जोड़ दिया जाएगा. इससे कई नवाचार अपने आप हो जाएंगे. जैसे ही कोई किसी जमीन के खसरे की रजिस्ट्री कराएगा, उस खसरे के बारे में रजिस्ट्री होने का नोट सीधे ही स्वत: ऑन लाईन जमाबंदी में आकर अंकित हो जायेगा. इससे किसी भी जमीन के एक से अधिक बार बेचान, खरीद, रहन आदि पर अंकुश लग जायेगा.

ई-धरती में विवरण अंकन करने का तरीका भी कम्प्यूटर के हिसाब से पूरी तरह वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है इसलिए प्रविष्टियों का अंकन एवं विन्यसन सुव्यवस्थित व सरल है.

इस नवाचार में नामांतरणकरण से संबंधित 21-सी फॉम्रेट लागू किया जा चुका है. अब तक यह व्यवस्था थी कि फॉर्म स्वीकृत होने के बाद व्यक्तिश: पटवारी द्वारा तहसील कार्यालय ले जाये जाने के बाद ही यह कार्यवाही हो पाती थी.

नवाचार में अब म्यूटेशन (नामान्तरण) का फॉम्रेट बदल दिया गया है. अब कम्यूटर में विशेष कॉलम बना दिया गया है. जैसे ही म्यूटेशन खुलता है, संदर्भ व्यक्ति अर्थात पटवारी इसकी अमल दरामद की स्थिति अंकित कर देता है जिससे कि 21-सी नामांतरण दर्ज करते ही यह कार्य हो जाता है, साथ ही इसे देखा भी जा सकता है, फिर चौसाला के अंतिम वर्ष के पश्चात खाते में अमल दरामद हो जाता है. ई-धरती में नामांतरण के मामलों में कम्यूटर खुद ही 21-सी जनरेट कर देता है.

ई-धरती के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राजस्थान में कार्यवाही आरंभ हो चुकी है. ई-धरती से जुड़ा यह कार्य छह माह की अवधि में पूर्ण कराया जाना है. इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. ई-धरती के जरिये भू अभिलेखों के डिजीटलाइजेशन से सभी खातेदारों एवं उनकी भूमि की जानकारी ऑनलाईन होने के साथ ही कई फायदे सामने आएंगे.

पंजीयन के बाद स्वत: ही म्यूटेशन खुल जाएगा वहीं सभी प्रकार की जानकारी भरे भू अभिलेख सीधे एवं स्वत: ऑनलाइन ही पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से जुड़ जाएंगे. नवाचार प्रकिया से प्रत्येक खातेदार के खाते की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। किसानों के म्यूटेशन ऑनलाईन खुल जाएंगे.

सॉफ्टवेयर स्वयं गणना कर भूमि की हिस्सेदारी का विवरण स्वत: दर्ज कर लेगा. बराबरी के हिस्सेदारों की स्थिति भी अच्छी तरह स्पष्ट होगी. सरकारी संस्थाओं एवं बैंकों के लिए व उसकी भूमि की जानकारी जुटाना आसान रहेगा.

इससे उन खातेदारों को भी खासा लाभ होगा जिनकी एक ही गाँव में अलग.अलग जगह पृथक खसरा नम्बरों वाली भूमि है. अब इस किस्म के खातेदार अपनी समस्त भूमि की एक साथ नकल ले सकेंगे अन्यथा अब तक हर भूमि एवं खसरे की नकल पाने के लिए अलग.अलग कोशिशें करनी पड़ती थी. ई-धरती में पूर्णता के साथ ही हर खातेदार को एक यूनिक आईडी दी जाएगी.

ई-धरती के क्रियान्वयन के लिए नेशनल लेण्ड रिकार्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रत्येक तहसील में मॉडर्न रिकार्ड रूम स्थापित होगा, जिसमें अत्याधुनिक एवं उपयुक्त फर्निचर सहित कम्यूटर, स्कैनर, प्रिन्टर, प्लॉटर, कॉम्पेक्टर, सर्वर आदि अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध होंगे.  पटवारी के पास उपलब्ध गांव के नक्शों का भी अत्याधुनिक तरीके से डिजीटाईजेशन किया जाएगा। रिकार्ड रूम को हर तरह से संरक्षित और सुरक्षित बनाया जाएगा. इसके लिए इसमें अग्निशमन यां एवं फायर अलार्म की व्यवस्था होगी, सीसी टीवी कैमरे लगेंगे और बायोमैट्रिक डिवाईस के माध्यम से ही इसमें प्रवेश हो सकेगा.

इसके लिए सव्रे फर्म द्वारा सुझाये आधार पर बहुद्देशीय मॉडर्न रिकार्ड रूम की स्थापना होगी. राजस्व मण्डल की ओर से प्रत्येक रूम के लिए दो व्यक्ति कम्प्यूटर सहित लगाए जाने की मंजूरी दी गई है.

राजस्थान में ई-धरती का काम परीक्षण के तौर पर पहले पहल टोंक जिले की उनियारा तहसील में हाथ में लिया गया जहाँ इसके बेहतर परिणाम सामने आने के बाद इससे उत्साहित होकर अब राज्य के अन्य जिलों में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है.

इस नवीन व्यवस्था को लागू करने के लिए राजस्व मण्डल अजमेर की ओर से अब तक जयपुर, अजमेर, कोटा एवं उदयपुर संभाग मुख्यालयों पर आयोजित संभागस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में विस्तृत जानकारी दी जा चुकी है. इसके बाद अब जोधपुर, भरतपुर एवं बीकानेर में भी इन कार्यशालाओं का आयोजन होगा.



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