अंधभक्ति की भेंट चढ़ने से बचा मासूम, तांत्रिक के पास नहीं रहेगा बच्चा : HC
राजस्थान हाईकोर्ट ने शनिवार को पांच माह के बच्चे को बाबा को गोद देने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए बच्चे को माता-पिता की अभिरक्षा में रखने का आदेश दिया.
अंधभक्ति की भेंट चढ़ने से बचा मासूम (फाइल फोटो) |
जज एम बेला त्रिवेदी ने शनिवार को अवकाश होने के बावजूद इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट में मां, बच्चे को लेकर सुबह पहुंची थी और फैसला सुनाए जाने तक कोर्ट में ही रही. यह मामला साढ़े पांच महीने के बच्चे को मां-बाप द्वारा एक बाबा को सौंपने और बच्चे के दादा द्वारा उसकी कस्टडी को लेकर कोर्ट में जाने से जुड़ा है.
मां-बाप पर आरोप है कि उन्होंने बेटे को बाबा की अरबों की संपत्ति का वारिस बनाने के लिए ऐसा किया. वहीं बच्चे के दादा का कहना है कि बाबा एक तांत्रिक है, जो उसके पोते की बलि चढ़ाना चाहता है.
अजमेर के रहने वाले दंपति ने 23 जुलाई को अपने दूसरे बच्चे को खंडवा के बाबा रामदयाल को सौंप दिया. बच्चे की मां डॉ. पूजा लेक्चरर हैं और पिता पवन बिल्डर हैं. बाबा रामदयाल का मध्यप्रदेश के खंडवा में आश्रम है. उनके अनुयायी उन्हें छोटे सरकार कहकर पुकारते हैं. रामदयाल इंजीनियर रह चुके हैं. रामदयाल का कहना है कि यदि उन्हें यह बच्चा नहीं सौंपा गया होता तो उनकी अरबों की संपत्ति का वारिस मिलना मुश्किल हो जाता. मां-बाप ने बच्चे का नाम मुल्कराज रखा था. रामदयाल ने उसका नाम बदलकर अनंतदयाल कर दिया. पवन और पूजा का एक बेटा और है जिसकी उम्र 8 साल है.
बच्चे के दादा राजेंद्र पुरोहित ने कोर्ट में कहा कि बाबा तांत्रिक है और बच्चे पर जादू-टोना करेगा. सीआरपीएफ से रिटायर राजेंद्र को डर है कि कहीं रामदयाल उनके पोते की बलि न दे दे. राजेंद्र के मुताबिक, वह अपने पोते को वापस लेने रामदयाल के पास गए थे, लेकिन उन्हें डरा-धमकाकर वापस भेज दिया गया.
राजेंद्र के वकील की दलील है कि रामदयाल की शादी नहीं हुई. ऐसा व्यक्ति परिवार या बच्चा गोद लेने के बारे में कैसे सोच सकता है? शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सवाल किया, कोई कैसे किसी बाबा को साढ़े पांच माह का बच्चा गोद दे सकता है? फिर आदेश दिया कि बच्चे को कोर्ट में पेश किया जाए.
कोर्ट के मुताबिक, बच्चा अभी खुद फैसला करने की हालत में नहीं है कि उसे किसके साथ रहना है. ऐसे में, यह मामला बेहद अहम है. कोर्ट ने शनिवार को दोबारा सुनवाई करने बाद बच्चे की अभिरक्षा माता-पिता को ही सौंपने का फैसला दिया. बच्चे के मां-बाप की ओर से वकील हेमंत नाहटा ने दलील दी कि रामदयाल बेहद सम्मानित व्यक्ति हैं. उनसे बच्चे को कोई खतरा नहीं है. वे उसकी अच्छे से देखभाल करेंगे और एजुकेशन के लिए विदेश भी भेजेंगे. मां-बाप का पक्ष रखने वाले एक अन्य वकील अमित पारिक ने भी कहा कि बच्चे को अडप्ट किए जाने की प्रक्रिया बिल्कुल ठीक है.
सीनियर एडवोकेट एके जैन का कहना है कि हिंदू अडप्शन एक्ट में बच्चे को गोद लेने का प्रावधान है, लेकिन कुछ बातें परंपराओं के आधार पर तय होती हैं. अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें किसी बाबा को मां ने अपना बच्चा दिया हो.
कानून के अनुसार, मां की इच्छा के खिलाफ बच्चे को ऐसे हाथों में सौंपा जा सकता है, जहां उसके अधिकार सुरक्षित हों.
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