आरक्षण को लेकर गुर्जरों ने दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग किया जाम

Last Updated 21 May 2015 09:41:45 PM IST

आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर गुर्जरों ने आंदोलन छेड़ दिया है. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में हजारों गुर्जरों ने दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक को जाम कर दिया.


आरक्षण को लेकर गुर्जरों ने दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग किया जाम (फाइल फोटो)

संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह ने कहा, 'गुर्जर 5 प्रतिशत आरक्षण लेकर ही रेल पटरियों से उठेंगे. सरकार गुर्जरों को आरक्षण देने में बहानेबाजी कर रही है और जाटों को एक दिन में आरक्षण दे दिया. रेल पटरियों पर बैठे गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर सरकार से बातचीत नहीं करेंगे. सरकार हमें (गुर्जरों) 5 प्रतिशत आरक्षण दे दे, हम पटरियों से उठ जाएंगे.'

कोटा रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्यिक प्रबंधक यशवंत कुमार चौधरी ने बताया कि गुर्जर आंदोलनकारियों ने दिल्ली मुंबई रेल मार्ग पर डूमरिया और पीलूकापुरा के निकट रेल ट्रैक को जाम कर दिए जाने के कारण इस मार्ग पर रेल यातायात रोक दिया गया है. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के रेल ट्रैक को जाम कर दिए जाने के कारण इस मार्ग से इस वक्त निकलने वाली 6 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ है.

रेल प्रशासन दिल्ली-मुंबई रेल के बीच चलने वाली गाड़ियों को अन्य परिवर्तित मार्ग से निकालने पर विचार कर रहा है. कोटा रेल मंडल के सूत्रों ने कहा कि गुर्जर आंदोलनकारियों द्वारा पैदा की जाने वाली किसी भी संभावित अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रेलवे सुरक्षा बल ने सुरक्षा कदम उठा लिए हैं.

गुर्जर आंदोलनकारी आरक्षण मुद्दे पर बुलाई गई महापंचायत के बाद अचानक बिना पूर्व घोषणा के मुम्बई-दिल्ली रेल मार्ग पर पीलूकापुरा के निकट पहुंच कर रेल ट्रैक पर बैठ गए. इससे मार्ग पर यातायात रोक दिया गया.

इधर, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने संवाददाताओं से कहा था कि गुर्जर नेताओं का आरक्षण का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती है. इस मुद्दे का समाधान न्यायालय ही करेगा.

उन्होंने गुर्जर नेताओं से समस्या के समाधान के लिए सरकार से बातचीत करने का आमंत्रण देते हुए कहा था कि बातचीत के लिए सरकार के द्वार हमेशा खुले हैं. समस्या का समाधान बातचीत के माध्यम से निकल सकता है.

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुर्जर आन्दोलन मुद्दे पर कहा, 'मेरा मानना है कि गुर्जर समाज को लोकतंत्र में समस्या के समाधान के लिए शांति से बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि हिंसा का रास्ता उचित नहीं है. सरकार को भी आगे बढ़कर उनसे बात करनी चाहिए और उनकी समस्या के समाधान का प्रयास करना चाहिए.

 



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