वर्ष 2014 भाजपा के लिए स्वर्ण वर्ष साबित हुआ, कांगेस बिखरे घर को जोड़ने में जुटी

Last Updated 15 Dec 2014 03:25:01 PM IST

बीता साल राजस्थान के राजनीतिक क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के लिए ‘‘स्वर्ण वर्ष’’ साबित हुआ.


वर्ष 2014 भाजपा के लिए स्वर्ण वर्ष साबित हुआ (फाइल फोटो)

वहीं प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस अपने बिखरे घर को जोड़ने में जुट गई.अन्य विपक्षी पार्टियों का तो वजूद ही नजर नहीं आ रहा है.

विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत से उत्साहित भाजपा ने लोकसभा में सभी 25 सीटों पर और निकाय चुनाव में 46 में से 31 सीटों पर विजय हासिल की. हालांकि उसे 4 विधानसभा सीटों के लिए हुए उप चुनाव में तीन पर पराजय मिली.

भाजपा ने नरेन्द्र मोदी लहर के सहारे कांगेस के जाट, गुर्जर आदिवासी, अल्पसंख्यक वोट बैंक को ढहाते हुए प्रदेश की सभी 25 सीटें अपने कब्जे में कर लीं जिसके सदमे से कांग्रेस उबर नहीं पाई है.

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार से हताश कांगेस कार्यकर्ताओं के लिए राज्य की चार विधानसभा सीटों में से नसीराबाद, सूरजगढ और वैर सीट पर मिली विजय ने ऑक्सीजन का काम किया.

राज्य की सत्ताधारी भाजपा विधानसभा उपचुनाव में चार में से केवल एक सीट ही जीत सकी. विधान सभा उप चुनाव नतीजों के बाद दो सौ सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा की संख्या 163 से घटकर 160 रह गयी.

लोकसभा चुनाव में भाजपा की आतंरिक लड़ाई खुलकर सामने आयी. भाजपा ने प्रदेश की राजनीति के चलते अपने ही सांसद जसंवत सिंह को बाड़मेर लोकसभा सीट से टिकट नहीं देकर कांगेस छोडकर आये कर्नल सोना राम को मैदान में उतारा. जसवंत सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने पर पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया.

जसवंत सिंह चुनाव हार गए. पार्टी ने जसवंत सिंह के विधायक पुत्र मानवेन्द्र सिंह को अपने पिता के लिये चुनाव प्रचार करने पर निलम्बित कर दिया .

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज डॉ गिरिजा व्यास, सचिन पायलट, चन्द्रेश कुमारी, जितेन्द्र सिंह, नमोनारायण मीना, डॉ सी पी जोशी सरीखे नेताओं को हार का सामना करना पड़ा.

वहीं दूसरी ओर भाजपा ने कांगेस सरकार में पांच साल तक पुलिस महानिदेशक पद पर रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमो नारायण मीना के छोटे भाई हरीश मीना को आश्चर्यजनक ढंग से दौसा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. चुनाव में छोटे भाई हरीश मीना ने अपने बड़े भाई नमोनारायण मीना को पटकनी दे दी.

राजस्थान विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव में तीन पर पराजय का दंश झेल रही भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव कर निकाय चुनाव में एक बार फिर नरेन्द्र मोदी का सहारा लिया और कांगेस को पराजित किया.

भाजपा ने साल के अन्तिम महीनों में हुए 46 निकाय चुनावों में से 31 पर कब्जा कर कांगेस को पराजित किया. हालांकि कांगेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा सरकार पर चुनाव पण्राली में बदलाव करने और जोड़तोड़ करने का आरोप लगाया.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अशोक परनामी ने लोकसभा और निकाय चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सर पर बांधते हुए कहा कि उनकी विकास की नीतियों को जनता ने खुलकर अपना समर्थन दिया हेै. आने वाले दिनों में भाजपा और कांगेस की पंचायत चुनाव में फिर अग्निपरीक्षा होने वाली है.

भाजपा ने अपनी सरकार का एक साल पूरा होने पर जयपुर में जश्न मनाने के नाम पर पार्टी कार्यकर्ताओं के समक्ष पंचायत चुनाव का शंखनाद किया तो कांग्रेस ने भाजपा के एक साल के कुशासन के विरोध में जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया.

गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा ‘‘पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा . मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के अच्छे कामों के कारण लोकसभा और निकाय चुनाव में भाजपा को जीत मिली. जनता ने हमें सुशासन के लिये चुन कर पार्टी के प्रति अपना विश्वास जताया है.’’

वहीं दूसरी ओर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार का दंश सह रहीं कांगेस ने प्रदेश कार्यकारिणी में बदलाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को फ्री हैंड दे दिया और उन्ही की पसंद पर अपनी मोहर लगा दी.

प्रदेश कांगेस अध्यक्ष सचिन पायलट ब्लाक स्तर तक पार्टी की नब्ज टटोलने का काम शुरू कर फिर बिखरे दल को एकजुट करने के प्रयास में जुटे हुए है.

हालांकि समय समय पर पार्टी में गुटबाजी की खबरें हवा में तैरती रहती हैं. पायलट ने बातचीत में गुटबाजी की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है सभी एकजुट होकर काम कर रहे हैं.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी भी सक्रि य होकर प्रदेश के दौरे कर कार्यकर्ताओं तक अपनी पहुंच बनाये हुए हैं जबकि अन्य दिग्गज नेता डा सी पी जोशी, नमो नारायण मीना, जितेन्द्र सिंह, चन्देश कुमारी राजनीतिक कोहरे में नजर नहीं आ रहे है.

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर टिप्पणियों का दौर चला. राजस्थान के कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा ने भी इसमें अपना सुर मिलाया. इसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ा और पार्टी ने उन्हे निलंबित कर दिया.




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