राजस्थान में हड़ताल पर गए रोडवेजकर्मी, थमे करीब 5 हजार बसों के पहिए
राजस्थान में मंगलवार रात से साढ़े 21 हजार रोडवेज कर्मचारी हड़ताल पर चले गए.
राजस्थान में हड़ताल पर गए रोडवेजकर्मी (फाइल फोटो) |
रोडवेज के समानांतर निजी बस संचालकों को बढ़ावा देने के विधानसभा में पारित प्रस्ताव के विरोध में ये हड़ताल पर गए हैं.
हड़ताल से रात 12 बजे से प्रदेशभर में रोडवेज की पौने पांच हजार बसों के पहिए थमना शुरू हो गए.
राजस्थान परिवहन निगम श्रमिक संगठन संयुक्त मोर्चा से जुडे कर्मचारी संगठनों ने 31 जुलाई की रात 12 बजे तक हड़ताल की घोषणा की है. रोज यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
हड़ताल को देखते हुए रोडवेज प्रबंधन ने सिर्फ कर्मचारियों से अपील जारी है. ग्रामीण सेवा बस यूनियन ने हड़ताल को समर्थन दिया.
सभी एहतियाती कदम उठाए गए हैं. डिपो अफसरों को निर्देश दिए हैं कि जहां बसों को रोकना पड़े, वहां यात्रियों को रिफंड भी दे दिया जाए.
हड़ताल शुरू होते ही देर रात से राजधानी समेत प्रदेशभर में सरकारी परिवहन व्यवस्था पटरी से उतर गई. करीब पौने पांच हजार बसों के पहिए थमना शुरू हो गए, जिसके चलते हजारों की तादात में यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी हो गई.
राजधानी के सिन्धी कैम्प, नारायण सिंह सर्किल समेत आसपास के कई बस स्टेण्डों पर यात्री अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए परेशान हो गए.
घड़ी की सूई में 12 बजते ही कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने नारेबाजी के बीच सिंडीकैंप बस स्टेंड को बंद कराया और मुख्यद्वार पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. इस दौरान पुलिस ने एतिहातन बाहर खड़ी निजी बसों को भी वहां से हटवा दिया.
इसके चलते यात्रियों को दूसरे विकल्प तलाशने के लिए भटकना पड़ा. कई निजी बस संचालकों ने यात्रियों की मजबूरी देखकर किराए बढ़ा दिए.
रोडवेज बसों की हड़ताल के चलते मंगलवार रात को सिंधी कैम्प से संचालित करीब चार दर्जन से अधिक बसों का संचालन नहीं हो पाया.
इस दौरान दिल्ली, जोधपुर, कोटा समेत अन्य जगहों पर जाने वाली आधा दर्जन से अधिक डीलक्स-वोल्वो व चार दर्जन से अधिक एक्सप्रेस बसों के यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
बसों का संचालन न होने से यात्री निजी बसों की ओर रवाना हुए और देखते ही देखते वहां भी मारामारी की स्थिति बनने लगी. इधर रात को रूक रूक कर हो रही बारिश ने यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी.
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