हिजाब मामलाः छात्राओं की याचिका ख़ारिज, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं

Last Updated 15 Mar 2022 09:06:15 AM IST

कर्नाटक हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर एक महत्वपूर्ण मामले में फ़ैसला सुनाते हुए छात्राओं की याचिका ख़ारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।


हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं: हाई कोर्ट (demo photo)

"स्कूल यूनीफॉर्म का निर्धारण संवैधानिक है और छात्र इस पर आपत्ति नहीं कर सकते।"

कोर्ट ने छात्रों की ओर से दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।

इससे पहले एहतियात के तौर पर पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। दक्षिण कन्नड़, कलबुर्गी और शिवमोग्गा जिलों में स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित की गई थी।

अधिकांश जिलों ने शिक्षण संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने सोमवार से सात दिनों के लिए पूरे शहर में विरोध प्रदर्शन, समारोहों और सभाओं को प्रतिबंधित करते हुए निषेधाज्ञा जारी की।

जनवरी में उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज के छह छात्रों के विरोध के रूप में शुरू हुआ हिजाब विवाद एक बड़े संकट में बदल गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी चर्चा हुई।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति जयुननेसा मोहियुद्दीन खाजी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की रोजाना सुनवाई की है।
 

तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन ने तर्को और प्रतिवादों को सुनने के बाद मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। छात्राओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया। यह एक बड़ा विवाद बन गया और यहां तक कि तनाव भी पैदा हो गया, क्योंकि कुछ हिंदू छात्राएं भगवा शॉल ओढ़कर कॉलेज आने लगीं।

छात्राओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए। जब हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब या भगवा शॉल ओढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, तब याचिकाकर्ताओं ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट से ही राहत मांगने को कहा।

आईएएनएस
बेंगलुरु


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