पुरूष मित्र होने का मतलब महिला का बलात्कार का अधिकार नहीं : उच्च न्यायालय

Last Updated 25 Sep 2017 07:23:52 PM IST

बलात्कार के एक मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति द्वारा पीड़ित को शर्मसार करने की कोशिशों पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी महिला का कोई पुरूष मित्र हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इससे किसी दूसरे व्यक्ति को उसका बलात्कार करने का अधिकार मिल जाए.


(फाइल फोटो)

न्यायमूर्ति ए एम बदर ने पिछले हफ्ते दिए गए आदेश में बाल यौन अपराध निरोधक अधिनियम (पॉक्सो) अधिनियम के तहत बलात्कार का दोषी करार दिए गए एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया. उसे अपनी नाबालिग भतीजी का बार बार बलात्कार करने का दोषी करार दिया गया है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि पुरूष मित्र होने का मतलब यह नहीं है कि किसी महिला का बलात्कार किया जा सकता है
        
अदालत ने उसकी इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता के दो पुरूष मित्र हैं, जिनके साथ उसके यौन संबंध थे. 
        
न्यायमूर्ति बदर ने कहा, कोई महिला चरित्रहीन हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी इसका फायदा उठा सकता है. उसे ना कहने का अधिकार है. 
        
उन्होंने कहा, अगर हम यह बात मान भी ले इस मामले की पीड़िता के दो पुरूष मित्र थे तो इससे याचिकाकर्ता को उसके साथ बलात्कार करने का अधिकार नहीं मिल जाता. 
        
न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि घटना उस समय हुयी जब पीडित लडकी नाबालिग थी.


        
उन्होंने कहा, उसने जिरह के दौरान साफ साफ कहा है कि याचिकाकर्ता ने बार बार उसके साथ बलात्कार किया. 
         
महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले याचिकाकर्ता को पॉक्सो अदालत ने 2016 में दोषी करार देते हुए 10 साल की जेल की सजा सुनायी थी. इसके बाद उसने जमानत के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और दावा किया कि उसने उक्त अपराध नहीं किया. दोषी व्यक्ति ने जमानत का अनुरोध करते हुये कहा कि वह अपने परिवार में कमाने वाला अकेला सदस्य है.

भाषा


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